रेलवे स्टेशनों तथा ट्रेनो के निजीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रेल मंत्रालय ने नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में अधिकारप्राप्त समूह का गठन किया है। पांच सदस्यों वाला समूह प्राथमिकता के आधार पर 50 रेलवे स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास स्टेशन के रूप में विकसित करने के अलावा प्रमुख रूटों की 150 ट्रेनो को निजी आपरेटरों को सौंपने के काम में तेजी लाने के उपाय करेगा। इनमें टेंडर की शर्ते और प्रक्रिया आदि तय करना शामिल है। समूह में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और वित्त आयुक्त के अलावा आर्थिक मामलात और शहरी विकास विभाग के सचिवों को सदस्य तथा रेलवे बोर्ड के सदस्य, इंजीनियरिंग और सदस्य यातायात को सह-सदस्य के रूप में नामित किया गया है। समूह से एक साल के भीतर अपना काम पूरा करने व रिपोर्ट देने को कहा गया है।इस समूह के गठन का सुझाव स्वयं नीति आयोग ने ही रेलवे को दिया था।आयोग का कहना था कि इक्का-दुक्का मामलों को छोड़कर रेलवे ने स्टेशन विकास की दिशा में कोई काम नहीं किया है। इसलिए इस प्रोग्राम को 400 स्टेशनों के बजाय केवल 50 स्टेशनो तक सीमित किया जाए। साथ ही नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में सचिवों के एक अधिकारप्राप्त समूह का गठन कर उसे इसके कार्यान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जाए।पत्र में अमिताभ कांत ने लिखा था कि, 'रेल मंत्रालय को 400 स्टेशनों का विकास कर उन्हें वर्ल्ड क्लास बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। परंतु कई वर्षो से वादा करने के बावजूद इक्का-दुक्का मामलों को छोड़, जिनमें ईपीसी मॉडल पर स्टेशनों के विकास की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, वादे पर अमल नहीं हुआ है। इस संबंध में मेरी रेलमंत्री के साथ विस्तृत चर्चा हुई है। जिसके आधार पर फिलहाल कम से कम 50 स्टेशनों को प्राथमिकता के आधार पर वर्ल्ड क्लास बनाने के लिए काम किया जाना तय हुआ है।पत्र में छह एयरपोर्ट के निजीकरण की तर्ज पर ही रेलवे स्टेशनों तथा ट्रेनो के निजीकरण के लिए भी अधिकारप्राप्त समूह के गठन का रास्ता अपनाने का सुझाव दिया गया था। रेलवे स्टेशनों तथा ट्रेनो के निजीकरण से जनता को क्या लाभ होगा और क्या अब इस योजना पर अम्ल किया जाएगा.?आप अपने विचार और अनुभव हमारे साथ साझा करें अपने फोन में नंबर 3 दबा कर।अगर यह खबर अच्छी लगी तो लाईक का बटन जरूर दबायें।