सौंसर:- सौंसर क्षेत्र में नाग पंचमी का त्यौहार लोगों ने हर्ष और उल्लास के साथ मनाया। घर-घर नाग देवता की पूजा अर्चना कर लोगों ने सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। साथ ही सौंसर क्षेत्र में अच्छी वर्षा हो तथा क्षेत्र के किसानों की फसलों का उत्पादन इस वर्ष अच्छा हो यह कामना लोगों ने नाग देवता से की। वैसे नाग पंचमी का दिन होने के कारण क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय सा रहा। नाग पंचमी के दिन सुबह से शाम तक अच्छी वर्षा हुई फिर भी सौंसर क्षेत्र के शिवालयों में भक्तों का भगवान भोलेनाथ के दर्शनार्थ दिनभर तांता लगा रहा। कई स्थानों पर भोले के भक्तों ने भंडारे का जगह जगह आयोजन किया था। साथ ही नाग पंचमी का विशेष दिन होने के कारण मंदिरों में दिनभर भजन कीर्तन चलते रहे। हिंदुओं का पवित्र सावन माह होने के कारण भी सौंसर क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय रहा। अर्धनारीश्वर मंदिर मोहगांव हवेली में नाग पंचमी के दिन लगा रहा भक्तों का तांता.... छिंदवाड़ा जिले के शिवालयों में सबसे प्रसिद्ध शिवालय अर्धनारेश्वर मंदिर मोहगांव हवेली में नाग पंचमी के दिन भक्तों का अर्धनारीश्वर भगवान के दर्शनार्थ दिन भर भक्तों का तांता लगा रहा। वैसे भी यह शिवालय जिले के सबसे पुराने शिवालयों में से एक हैं। यह मंदिर दैत्य गुरु शुक्रचार्य की कर्मभूमि रहा हैं। यह मंदिर सर्पिणी नदी के तट पर स्थित हैं। शुक्राचार्य ने सर्पिणी नदी के तट पर अपने परम भोलेनाथ को प्रसन्न करने के बाद शुक्राचार्य ने वरदान मांगा था कि में केवल माताजी को आपके साथ देखना चाहता हूँ। तभी शंकर भगवान ने अर्धनारीश्वर रूप में उन्हें दर्शन देकर उनकी मनोकामना पूरी की। सर्पिणी नदी के किनारे पूजन करने से मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति... सर्पिणी नदी होने से इस स्थान पर काल सर्प दोष से शांति मिलती हैं । श्रावण माह में कावड़ यात्री यहाँ आते हैं। कावड़ यात्री यहां देश की नदियों का जल लाकर अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करते हैं। यह नदी उद्गम स्थल से लेकर संगम स्थल तक सरपीले आकार में बहती है इस कारण इस नदी को सर्पा की संज्ञा दी गई है। इस नदी में पहले जो पत्थर पाए जाते थे वह सर्प के समान दिखाई देते थे।सर्पिणी नदी के तट पर स्थित इस मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में एक कुण्ड है, जिसकी आकृति शिवलिंग के समान है। यह शिवलिंग सर्पिणी नदी के तट पर प्राकृतिक रूप से बना है।