दोस्तों, भारतीय समाज की प्रकृति कई धर्म, संस्कृतियों और परंपराओं की बुनियाद पर टिकी है. पर फिर भी हम सब दबी जुबान में ही सही लेकिन इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि भारत में मज़हब, नस्ल और जाति के आधार पर भेदभाव समाज में एक ज़माने से मौजूद रहा है. और यह खुलकर सामने आ रहा है. एक खास धर्म का नारा लगाना, एक खास धर्म के लोगों को बायकॉट करना, एक खास धर्म को खत्म कर देने की धमकियां देना... अब आम सा हो गया है. यह सब उस भारत में हो रहा है जहां का संविधान कहता है कि किसी के साथ मज़हब, जाति या क्षेत्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं बरता जा सकता. मॉब लिचिंग की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ रही हैं और धर्म के नाम पर जो खौफ फैलाया जा रहा है वह इंसानियत के लिए खतरे की घंटी है. भारतीय लोकतंत्र में फ़ासीवादी तौर-तरीक़े वाली यह प्रक्रिया कोई व्यक्तिगत या अचानक की गई हरकत नहीं है. बल्कि धीरे—धीरे धर्म और राजनीति को एक कर के इसे हवा दी जाती रही है. यह मसला जितना गंभीर है उतना ही संवेदनशील भी. इसलिए इस बार जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर हम आपसे जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों कम होता जा रहा है आपसी सौहार्द! आप हमें बताएं कि आखिर क्यों देश में मॉब लिचिंग की घटनाओं में इजाफा हो रहा है? वे कौन से कारण है जिससे लोगों के मन में एक—दूसरे के प्रति नफरत की भावना पैदा हो रही है? और हमारी ओर से वे कौन से प्रयास होना चाहिए जिनसे समाज में एक बार फिर से साम्प्रदायिक सदभाव कायम हो सके? अपनी बात रिकॉर्ड करें फोन में नम्बर तीन दबाकर.