नालंदा जिला से संतोष कुमार की रिपोट:- साथियो अधिकतर महिला सदस्यों ने जबरदस्त भागीदारी अपनी हक की बात पर आवाज को बुलंद करने पटना के गर्दनीबाग धरना पर है। हालांकि समूचा प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही रहा। प्रदर्शन में पुलिस को बल का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा, इन प्रदर्शनों के चलते शहर के कुछ खास इलाकों में जाम लगा। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गर्दनीबाग में उतरे बिहार प्रदेश जीविका कैडर संघ, खूब नारे की जीविका दीदियों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुर्दाबाद हमारी मांगे पूरी करो।नीतीश कुमार शर्म करो, भीख मंगवाना बंद करो, जैसे नारों से जीविका दीदियों ने अपना विरोध जताया। मौके पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने कहा कि जीविका महिला सशक्तिकरण के लिए बिहार सरकार की एक परियोजना है। जिससे बिहार की करोड़ों महिलाएं जुड़ी हुई है। जो विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है जैसे मनरेगा सर्वेक्षण, विद्यालय निरीक्षण, शौचालय निर्माण योजना मानव श्रृंखला, वित्तीय साक्षरता शराब बंदी इसके कई उदाहरण हैं। इसके बावजूद सरकार हम लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इन पर नेताओं ने भाषण भी दिये, जिसमें खूब तालियां बजीं. इस दौरान पूर्व विधायक डाॅ अच्युतानंद और भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ सियाराम शर्मा आदि नेता उपस्थित रहे। जानकारी हो कि यह कैडर अपने नियुक्तपत्र, पहचानपत्र, और मानदेय वितरण के तरीके सहित करीब दस मांगों पर अटल है। प्रदीप कुमार पूर्व लेखापाल चेनारी प्रखंड से बताया कि जीविका में सिर्फ 2%NPA हो रहा है जब कि बैंक खुद लोन करती है तो काफी NPA होरहा है सरकार कहती है कि नारी सशक्तिकरण के लिए काफी लोन दिए है। लेकिन सच्चाई यह है की 9000 से 10000 प्रति महिला लोन दी है। जब गरीवी की बात करके डिंडोर पिट रहे है तो 1000000 तक लोन मुहैया कराए।बदले में ब्याज तो दे रहे है। कविता कुमारी ने कहा की सरकार अब ज्यादा दिन तक जीविका दीदी को मूर्ख नही बना सकती है।परियोजना पदादिकारी अपनी रोटी सेकने पर लगी है। प्रदेश अध्यक्ष चंदन कुमार ने कहा कि जीविका दीदी को सरकार सिर्फ सपना दिखा कर वोट लेने का काम किया है।सुबिधा के नाम पर जीविका दीदी के साथ छल किया है। इस धरना में जीविका कैडर संघ को मजदूर यूनियन भी सहयोग दे रही है। महिलाओ ने काफी उत्साह में विधान सभा को घेराव के लिए चले तो धरना स्थल की मेन गेट बंद कर दिया गया। और वहां उक्त धरना के अररिया प्रखंड के कोषाध्यक्ष अस्मिता जी ने बताया कि पाँच लोगों को विधान भवन में बुलाया है। साथियो धरना प्रदर्शन में लगभग पचास हजार की संख्या में अनुमानित की जा रही है। जीविका से जुड़ी महिलाएं शामिल हुई। प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष भारती कुमार, प्रदेश कोषाध्यक्ष चंदन कुमार सिंह, जिला अध्यक्ष विपिन भारती, मुंगेर जिला अध्यक्ष नवीन कुमार, जमुई जिलाध्यक्ष अशोक कुमार महतो, शेखपुरा जिलाध्यक्ष रामचन्द्र प्रसाद, लखीसराय जिला महासचिव शोभा देवी, रवि शंकर, रंजीत दिवाकर, संजय, मधुबनी जिला विधा देवी, चन्द्रशेखर पूजा कुमारी, शोभा देवी सोना कुमारी, महावती देवी, मधु कुमारी, रोहतास ज़िला से पिंकी देवी, नीतू देवी, कुंती देवी, ममता कुमारी, सीमा कुमारी, उमंग कुमार, देवाशीष कुमार, सुजीत कुमार, अनिल कुमार, नीरज ठाकुर नालन्दा जिला से रेतम कुमारी , सिकन्दर पासवान,गणेश कुमार,रंजू देवी मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड आए रेणु कुमारी सहित बड़ी संख्या में जीविका के कैडर उपस्थित ।

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कुमारी निरुपम सिन्हा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है,देश मे महिलाये और बच्चे आज भी सुरक्षित नही है,आज आये दिन समाचारो में आती रहती है महिलाओ और बच्चों के साथ हो रहे अन्याय की खबरे।आज हम सब को अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है।

बिहार राज्य के नालंदा जिला से संवाददाता रंजन कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि आज कल पुरे भारत देश में हम महिलाओं को देवी का रूप मानते है। लेकिन क्या हम उस देवी को इज्जत भरी निगाहों से देख रहे है ? नहीं। क्योंकि हर समाचारों में, अखबारों में बस यही सुनते है की महिलाओं के साथ या फिर किसी बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है। मोदी सरकार के कानून बनने के बाद भी लोग खुले आम महिला या फिर छोटी बच्चियों को अपने हवस का शिकार बना रहें हैं। जैसे - जैसे साल बीत रहें है, उसी प्रकार बलात्कार का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। संवाददाता ने कहा कि अब तो घरों में भी बलात्कार की खबर मिलते रहती है। जिस कारण से महिला और छोटी छोटी बच्चियां बाहर तो बाहर घरों में भी अपने आप को सुरक्षित महसुस नहीं कर पा रहीं है। अगर ऐसा चलता रहा तो आने वाले समय में इसे रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।

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लक्खीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, खेमतरणी स्थान की शिक्षिका सरिता कुमारी बतला रही है कि बच्चे और महिलाएं इस देश मे सुरक्षित नही है उनमें असुरक्षा की भावना रहती है जिसे दूर करने के लिए हमे जागरूकता अपने घर से ही शुरू करने की जरूरत है।

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