जिला मधुबनी प्रखंड मधवापुर से रामनरेश ठाकुर जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि सरकार द्वारा बातचीत के माध्यम से राहत सामग्री पैकेट का वितरण किया गया सामान्य लोगो के लिए।पर मधवापुर प्रखंड विकास पदाधिकारी शिवशंकर राय ने राहत सामग्री पैकेट क वितरण हर पंचायत में दलित और हरिजनों के लिए दे दिया।पैकेट को चीर-फाड़ कर मुखिया द्वारा बँटवारा किया गया।इस बँटवारा से बाढ़ पीड़ित खुश नहीं है।पीड़ित लोग आक्रोशित नजर आ रहे है।सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ितों को दिया गया आहार वरीय पदाधिकारी द्वारा छीन लिया गया है।जिसके चलते ग्रामवासियों में आक्रोश ही आक्रोश नजर आ रहा है।वरीय पदाधिकारीये के ताल-मेल से इस मौके का फायदा मुखिया और वार्ड सदस्य उठा रहे है।पैकेट वितरण में घोर अनियमितता हो रही है।इसमें सिर्फ भरस्टाचार ही नजर आ रहा है।सरकार को इस पर गंभीरता पूर्वक ध्यान देना चाहिए।

रामनरेश ठाकुर,जिला मधुबनी के साहरघाट से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि मधवापुर प्रखंड में सर्व शिक्षा अभियान कागज़ पर ही चल रहा है।मधवापुर प्रखंड में सर्व शिक्षा अभियान के तहत पठन-पाठन के लिए न तो कोई भवन बना हुआ है और न ही शिक्षकों की बहाली की गई है।अभियान के तहत बच्चो के लिए किताबें आती है लेकिन समय से नहीं मिल पाती है।इस अभियान के तहत शौचालय तथा पेयजल की व्यवस्था की जाती है लेकिन छह महीने से अधिक नहीं चल पाता है।वही शिक्षकों द्वारा शौचालयों की साफ़-सफाई एवं पेयजल की मरम्मतों पर ध्यान नहीं दिया जाता है जबकि बच्चों के लिए यह सबसे मूल आवश्यकता है क्योकि जल ही जीवन है।वही छात्रों के-खेलने कूदने के लिए बहुत सारी सामग्री आती है लेकिन उस सामानों को शिक्षकों के बच्चों द्वारा खेला जाता है जिसकारण स्कूल के छात्रों को देखने के लिए भी नहीं मिल पाता है।इसलिए सरकार को सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत अलग से पठन-पाठन के लिए भवन बनानी चाहिए और शिक्षकों की बहाली करनी चाहिए।

जिला मधुबनी प्रखंड मधवापुर से राजकिशोर यादव जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मधवापुर प्रखंड के लोगों कि धान की फसल बाढ़ के पानी से बर्बाद हो गयी है।किसान अपनी कि हुई खेती का नुकसान को देखकर अपने सर पर हाथ रखकर मूर्छित हो जाते है, मायूस होकर अपने खेतो से घर चले आते है।किसानों द्वारा अपनी लागत एवं मेहनत लगाकर धान का फसल किया गया था। किसानों का दाना गया साथ ही मवेशियों का चारा भी चला गया।छोटे किसानो द्वारा कर्ज लेकर फसल किया गया था ,वे इस बाढ़ के कारण ना घर के रहे और न घाट के।अब देखना यह है कि सरकार किसान के लिए क्या कदम उठाती है।

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