बिहार जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हमारे समाज में तिलक दहेज़ की कुरूतियों की जड़े इतनी गहरी पैठ बना ली है की यह खत्म होने का नाम ही नहीं लेती है।माता-पिता अपनी बेटी को डॉक्टर , इंजीनियर आदि बनाते है।इसके बावजूद भी बीस से पच्चीस लाख रुपये दहेज़ देने पड़ते है।इतनी मोटी राशि जुटाने में कई अभिभावकों को घर से लेकर खेत तक बेचने पड़ जाते है।बावजूद इसकी बुराई करने के बजाय लोग तारीफ करते हुए कहते है कि देखो उस लड़के को तिलक-दहेज़ में इतनी बड़ी राशि मिली है।सरकार को तिलक दहेज़ प्रथा रोकने के लिए कोई उपाय करने चाहिए ताकि जल्द-से-जल्द इसपर काबू पाया जा सके।