जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे कि आज मजदुर दिवस है लेकिन बिहार में आज भी बच्चों को कूड़ा बीनने के साथ-साथ भीख मांगते और अनेक जगहों पर काम करते देखा जा सकता है।आजादी के बाद से ही यह एक प्रमुख समस्या बन गयी है।बच्चों के लिए विभिन्न योजनाए संचालित की गयी है लेकिन इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल सका है।पढ़ने-लिखने,खेलने-कूदने के उम्र में बच्चे मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मजबूर रहते है।आज इन स्थितियों पर पुनः गंभीरता से विचार किये जाने की जरुरत है।क्यूंकि दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित और पुरष्कार, सम्मान नोबेल भारतीय समाजसेवी को साझा के रूप मिला था। यह साझेदारी का बटवारा बच्चों के प्रति जिम्मेवारी को और भी बढ़ा देता है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले भारतीय समाजसेवी के पास 80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करने का आँकड़ा मिला है। इसके बाद भी बिहार में ऐसे हालात है और जिससे ये पता चलता है कि अभी भी बच्चों को कूड़ा-करकट से लेकर होटलों और ढाबों पर काम करते देखा जा सकता है लेकिन बिहार सरकार इन बच्चों पर कभी ध्यान नहीं देती है