जमुई से दिलीप पाण्डे जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जमुई जैसे छोटे शहर में आवासीय होटल का कारोबार मजे से फल-फूल रहा है। भले ही इन होटलों का निबंधन न हो लेकिन धरातल पर कई होटलों में वातानुकूलित कमरे की भी व्यवस्था है। इन होटलों में रोजगार से जुड़े लोगों के अलावा नौकरी-पेशा व अन्य कार्यों से जमुई पहुंचने वाले लोगों का ठहराव होता है। बात करें सुरक्षा की तो इस लिहाज से नियमित जांच भी इन होटलों का नहीं किया जाता है। कई मामलों में तो पंजी में संधारण भी नहीं किया जाता है। खासकर संदिग्ध किस्म के लोगों का जब होटलों में ठहराव होता है तो उनसे मुंहमांगा किराया वसूल कर बगैर किसी आईडी प्रुफ के कमरा आवंटित किया जाता है जिसका पंजी में संधारण तक नहीं होता है। इन सबसे अलग सर्विस टैक्स की बात करें तो शायद ही कोई होटल संचालक के द्वारा सर्विस टैक्स भुगतान किया जाता है। टैक्स वसूली में संबंधित विभाग भी खासा मेहरबान होटल संचालकों के प्रति रहते हैं। इसके पीछे वजह क्या है इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं होती है। शहर के होटलों में सुविधाओं की बात करें तो कुछेक होटलों को छोड़ दिया जाए तो ठहरने वाले यात्रियों को कोई खास सुविधा नहीं दी जाती है। शहर के कई होटलों में रईस लोगों की चौकड़ी लगती है। उस चौकड़ी में शराबबंदी कानून की खुलकर धज्जियां उड़ाई जाती है। चंद समय के लिए अच्छा-खासा किराया संचालकों को मिल जाता है। शहर में इन बातों की चर्चा सरेआम है कि दिन के उजाले में भी शराब का दौर चलता है।शहर के कुछ होटलों की प्रसिद्धी अनैतिक कार्य को लेकर लोगों में आम है। इसकी पुष्टि भी पिछले दिनों शहर के एक होटल पर छापेमारी के दौरान हुई गिरफ्तारी से हो चुकी है। ऐसे और भी कई संदिग्ध होटलों की चर्चा आम और खास के बीच सुनी जा सकती है। शहर के होटलों में नियमित जांच की बात प्रशासनिक स्तर पर की जाती रही है। धरातल पर इसकी समीक्षा की जाए तो शायद ही नियमित जांच किया जाता है।