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नरवर शासकीय माध्यमिक विद्यालय चकरामपुर के छात्र रामगोपाल सिंह कुशवाहा ने सुनाई कहानी

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मां दुर्गा भी बहुत खुश होगी जब जन्म देने वाली मां मुस्कुराएगी , आज ही वृद्ध आश्रम में जाओ जन्म देने वाली मां को घर ले आओ। मां दुर्गा का जैसे श्रृंगार करते हो वैसे ही जन्म देने वाली मां को सुंदर वस्त्र पहना दो , मां दुर्गा को भोग लगाते हो ऐसे ही जन्म देने वाले मां को प्यार से खाना खिला दो। दोनों माताएं देंगी खूब सारा आशीर्वाद , आपके जीवन में आयेंगी खुशियां बेशुमार। ( सुन्दर सिंह हरिता )

माँ मुझको एक पैसा दे दो मैं पैसों का पेड़ लगाऊंगी नहीं होगा फिर कोई गरीब मैं सबको पैसे देकर आऊंगी। उगेंगे जब खूब सारे पैसे मैं गरीबी मिटाऊंगी। महंगाई के जमाने में मैं मसीहा बन जाऊंगी। भूखे हैं न जाने कितने मासूम उन्हें भोजन दिलवाऊंगी मां मुझको पैसे देदो मैं पैसे का पेड़ लगाऊंगी दिव्य श्वेत

सोचो ना होते अगर वन उपवन सोचो ना होती नदिया ना होते प्यारे झरने कैसे होता फिर श्रृंगार धरती का प्रकृति है श्रृंगार धरती का धरती लगती है दुल्हन सी ओढ़ कर प्रकृति के नजारे देखो कितने प्यारे-प्यारे आओ धरती का श्रृंगार करें पेड़ लगाकर धरती को खुशियों से भरे।

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