झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से तेहरिन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि गिरिडीह के सांसद और एनडीए उम्मीदवार चंद्रप्रकाश चौधरी बाघमारा निर्वाचन क्षेत्र से जीते हैं।
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भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने
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झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से तेहरिन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि बागमारा चुनाव अभियान समाप्त होने के बाद कटरा पुलिस ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी। निकाला फ्लैग मास्क सत्रस पुलिस थाना प्रभारी ने कहा कि निडर होकर अपने मतदान स्थल पर जाएं और अपने वोट का उपयोग करें। यदि कोई सुविधा है तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से फरकेश्वर महतो ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि नवाडीह प्रखंड बोकारो जिला के पंचायत गुइयांडीह ग्राम गूंगों निवासी निरंजन अपने प्रिय नेता जयराम का चित्र बनाकर वोट देने का अपील करते नज़र आ रहे हैं। युवा टाइगर जयराम महतो को जीताने का संकल्प ले रहे हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से फरकेश्वर महतो ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि कोडरमा क्षेत्र के बुजुर्ग मतदाता चुनाव चिन्ह को लेकर भ्रमित हो रहे हैं।इस क्षेत्र में अच्छे से प्रचार करने की जरुरत है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
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