जिला बोकारो के जरीडीह प्रखंड से शिवनारायण महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखण्ड का एक भी जिला ऐसा नहीं है कि जहाँ महिलाओ को डायन बता कर पड़ताड़ित न किया गया हो। कई जगह तो डायन बताकर महिला की हत्या तक कर दी गयी है। जिनके दिल दिमाग में झूठ पर आधारित अंधविश्वास की धारणा ने जड़ जमा ली है,बीमार पड़ने पर वो डॉक्टर के पास न जा कर ओझा गुणीन के पास ही जाते हैं। जहाँ ओझा बीमारी का कारण डायन बिसाही बताते हैं और जिस महिला को वह डायन कह देते हैं उनके पीछे लोग तब तक पड़े रहते हैं जब तक उस महिला की मौत न हो जाये। झारखण्ड के लिए यह एक बहुत बड़ा कलंक है ऐसा अंधविश्वास विशेष कर हरिजन आदिवासी पिछड़ी जाति तथा गरीब और अशिक्षति लोगों की मानसिकता पर इस कदर हावी हो गया है की वे इसके सिवाय दूसरा कुछ सोच ही नही सकते। अंधविश्वास झारखण्ड में एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जिसका समाधान सिर्फ कानून से नहीं हो सकता अन्धविश्वास को जड़ से मिटाना होगा और इसके लिए ग्रामीणों के बीच जाकर जागरूकता का काम फ़ैलाने का काम करना होगा।झारखण्ड में अशिक्षा के स्तर की जमीनी हकीकत को समझाना होगा। पंचायतों में अंधविश्वास के खिलाफ माहौल तैयार करने में पंचायती राज्य प्रतिनिधियों की अहम भूमिका हो सकती है।