जिला बोकारो से जेएम रंगीला जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की सरपंच और पंच का चुनाव नहीं होने से पंचायतीराज वयवस्था अधूरी है।1992 में 73 वा संविधान संशोधन कर त्रिस्तरीय पंचायती राज वयवस्था लागू की गयी जिसमे जिला स्तर पर जिला परिषद् ,प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति,सदस्य व वार्ड सदस्य व मुखिया,पंच तथा सरपंच जैसे पदों का प्रावधान किया गया।झारखण्ड में 2011 से अब तक दो बार पंचायती राज वयवस्था का चुनाव हो चूका है। परन्तु आश्चर्य वाली बात यह है की दोनों बार के ही आम चुनाव में सरपंच और पंच का चुनाव नहीं किया गया है।झारखण्ड राज्य को छोड़ शेष अन्य राज्यों में सरपंच और पंच का चुनाव हो चुके है.ठीक इसके विपरीत झारखण्ड में उक्त दोनों पदों के चुनाव में अनदेखी की गयी है।पंचायत स्तर पर घरेलु विवाद व ग्राम स्तर पर हुए विवादो का निपटारा करने का अधिकार सरपंच और पंच के पास होता है। सरपंच और पंच का चुनाव नहीं होने से घरेलु व ग्राम स्तर पर हुए विवाद थाना तक पहुंच जाते है।वर्तमान में झारखण्ड के मुखिया को किसी भी प्रकार के विवाद का निपटारा करने का कोई भी क़ानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है।झारखण्ड के विधायकों और सांसदों ने भी पंचायत राज अधिनियम का अध्ययन नहीं किया है,तभी तो सरपंच और पंच जैसे महत्वपूर्ण रिक्त पदों के लिए उनकी ओर से आज तक कोई सवाल नहीं किये जाते।अत: कहना गलत नहीं होगा की झारखण्ड में सरपंच और पंच का चुनाव नहीं होने से पंचायतीराज वयवस्था अधूरी है.

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April 26, 2017, 1:50 p.m. | Tags: autopub  


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April 27, 2017, 3:19 p.m. | Tags: autopub