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हमारी परंपराओं में ऐसी कई प्रथाएं शामिल हैं जिनके विज्ञान ने अपने ही तर्क दिए हैं. गौर किया जाए तो हमारी हर प्रथा विज्ञान से प्रभावित है. ऐसी ही प्रथा है पानी तोड़ना. तो चलिए जानते हैं ग्रामीण कैसे निभाते हैं यह प्रथा और जांचते हैं पानी की गुणवत्ता.. ग्रामवाणी और नेटिव पिक्चर की खास पेशकश..

आपको याद कि आखिरी बार कुएं के आसपास कब गए थे? शायद बचपन में... हममें से कई लोग तो ऐसे भी होंगे जिन्होंने कुएं देखे तो हैं पर सूखे... लेकिन चंपारण के लोगों को कुओं के महत्व के बारे में ऐसी जानकारी मिली है कि अब वे फिर से गांव में कुओं का निर्माण करने में लगे हैं... क्या आप नहीं जानना चाहेंगे वो खास बात? सुनिए ग्रामवाणी और नेटिव पिक्चर की यह खास पेशकश..

चंपारण, यहां के प्राकृतिक नजारे जितने खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा समृद्ध है यहां का इतिहास. चंपारण वह धरती है जहां भारत महात्मा गांधी ने 1917 में किसानों को शोषण से मुक्त करवाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया था और यह जगह ऐतिहासिक हो गई. लेकिन दशकों बाद एक बार फिर चंपारण नए सत्याग्रह के लिए तैयार है. क्या आप नहीं जानना चाहेंगे कि यह कौन सा सत्याग्रह है...? सुनिए और हिस्सा बनिए नेटिव पिक्चर संस्था और ग्रामवाणी की संयुक्त मुहिम का