पहले जांच एजेंसियां सत्ताधारी दल के दवाब में कार्य करती थी।लेकिन अब सत्ता का दवाब शायद नही है।तभी तो स्वतंत्र रूप से जांच एजेंसी काम कर रही है।सोचने वाली बात है इतने कम समय में ये नेता करोड़ की मालिक बन जाते है कैसे? ये सोचने वाली बात है।