सीतामढ़ी से दीपक पटेल सुप्पी प्रखंड के मोहनी मंडल पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित विद्यालय के अंदर बच्चों ने खुलेआम किया मास्टर की तारीफ अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

नमस्कार मोबाइल बनी में स्वागत है आपका सीतामढ़ी से दीपक पटेल की रिपोर्ट जानकारी के मुताबिक आपको बताते चले सीतामढ़ी जिले में मैट्रिक परीक्षा को लेकर के हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ सीतामढ़ी से दीपक पटेल की रिपोर्ट क्या

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

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जो मैथ का प्रश्न बनाने आता है उसे पर ज्यादा ध्यान दें

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मैं आज एस . आर . के . गोयनका कॉलेज , माना आजाद राष्ट्रीय विश्वविद्यालय , दूरस्थ शिक्षा में मिश्रा शास सीतमधनी हूँ । आज सेमेस्टरवार परीक्षा ली गई जो परीक्षा का पहला दिन था । आज से परीक्षा शुरू हो गई है । कॉलेज की परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर सनाला साहब ने कहा कि आज से परीक्षा शुरू हो गई है । परीक्षक उस सीट पर बैठे हैं जो अभ्यर्थियों के लिए चिपकाई गई है । परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित की जा रही है । पहली पाली की परीक्षा दस बजे से एक बजे तक होती है । दूसरी पाली की परीक्षा दो बजे से पांच बजे तक शुरू हुई , इस तरह परीक्षा शांतिपूर्ण और बिना किसी कदाचार के आयोजित की जा रही है । कॉलेज के शादाब साहब ने भी कहा कि बाहर से किसी भी तरह का सहयोग नहीं है , गैर - सहयोगी दिखाई नहीं दे रहे हैं , इसकी कड़ी निगरानी की जा रही है ।

श्रीमान शास , मैं सीतामढ़ी जिले के सत्तावन केंद्रों पर कदाचार मुक्त इंटर परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं । परिस्थितियां उन सभी के लिए आयोग का एक संयुक्त आदेश जारी करके सभी परीक्षा केंद्रों पर एक सौ चालीस लागू होंगी जो नकल करने के आदी हैं या नकल करने के मूड में हैं ।

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?