अचानक से कोई भी कानून जनता के समक्ष ला कर रख दिया जाता है और यह उम्मीद भी करती है प्रशासन की जनता तुरंत ही इसका पालन भी करने लगे। लेकिन क्या यह संभव है। किसी भी कानून के निर्माण और उसके लागू होने से पहले जनता को जागरूक किया जाए तो किसी भी मामले में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी रिपोर्टर रंजन कुमार ने बताया कि बीते महीने मोबाइल वाणी पर सोहजना उपस्वास्थ्य केंद्र बंद रहने की खबर मोबाइल वाणी पर चलाया गया था। खबर चलने के बाद इस पर असर हुआ और सोहजना उपस्वास्थ्य केंद्र प्रति दिन समय से खुलने लगा।इस सम्बन्ध में रंजन कुमार ने सोहजाना ग्रामवासी अमित कुमार जी से बात की।बातचीत के दौरान अमित जी ने कहा कि मोबाइल वाणी की पहल से सोहजना ग्राम के लोगों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगी है। अब इस स्वास्थ्य केंद्र में बच्चों का टीकाकरण एवं गर्भवती महिलाओं का जाँच होने लगा है। इस बात से सोहजना ग्राम के लोग काफी खुश हैं। उन्होंने इस कार्य के लिए मोबाइल वाणी की सराहना की है।
बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से निकिता दीदी से साक्षात्कार करते हुए पूछा गया कि मालवीय समाज में किस प्रकार से होली मनाई जाती है ? निकिता दीदी ने कहा कि हमारे मालवीय समाज में लोग होली के उत्सव को मनाने का तरीका अलग कर लिया है। दीदी ने कहा कि हमारे समाज में लोग होली को प्रेम पूर्वक मनाने की जगह शराब पी कर हुड़दंग करना, किसी के साथ जबरदस्ती करना और मारपीट करना जैसे होली को बिगाड़ रहे है। दीदी ने यह भी कहा कि हमारे समाज में भाईचारगी खत्म हो रही है। साथ ही बेरोजगारी होने तथा महंगाई होने की वजह से होली का रंग फीका पड़ता जा रहा है। दीदी ने कहा कि पहले के समय में लोग होली को बड़े धूम धाम से मनाते थे और कोई भी गलत नशीला पदार्थ का सेवन नहीं करते थे।साथ ही भाईचारगी का भी संदेश देते थे।
बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से संवाददाता रंजन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि हमारे समाज में सभ्यता और असभ्यता सबसे बड़ी चीज है। रंजन ने कहा कि आज के समय में सभ्य समाज के लोग अपने से बड़ो का आदर करते है और साथ ही साथ असभ्य समाज के लोग बड़े तो बड़े छोटो का भी आदर नहीं करते है। हमरे देश में होली को प्रेम और भाई चारगी का प्रतिक माना जाता है। संवाददाता ने कहा कि पहले के समय में हमारे समाज में लोग फाल्गुन माह में गीत संगीत और भाई चारगी के साथ होली मनाते थे। पहले के समय में होली में लोग एक गाँव से दूसरे गाँव में जाकर गीत संगीत का कार्यक्रम रखते थे। लेकिन अभी के समय में कुछ लोगो ने इस होली को हुड़दंग बना कर रख दिया है। संवाददाता ने कहा कि अभी के समय में लोग होली नशीले पदार्थ का सेवन और कपड़े फाड़ने का रीति रिवाज बना दिया गया है। इस कारण से समाज में तनाव उत्पन होना शुरू होने लगता है और होली के सरे मजे को किरकिरा कर देता है। संवाददाता ने कहा कि आज के समाज में यह भी देखा जा रहा है कि हमारे समाज के कुछ लोग होली की सभ्यता को भूल कर असभ्यता का इस्तेमाल कर रहे है और गीत संगीत के जगह अभद्र संगीत का प्रयोग कर रहे है। यह ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है।ऐसा न हो की आने वाले समय में यह सब चीज धीरे धीरे विलुप्त हो जाए।
बिहार राज्य के नालंदा जिला से संवाददाता रंजन कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कहा कि आज कल पुरे भारत देश में हम महिलाओं को देवी का रूप मानते है। लेकिन क्या हम उस देवी को इज्जत भरी निगाहों से देख रहे है ? नहीं। क्योंकि हर समाचारों में, अखबारों में बस यही सुनते है की महिलाओं के साथ या फिर किसी बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है। मोदी सरकार के कानून बनने के बाद भी लोग खुले आम महिला या फिर छोटी बच्चियों को अपने हवस का शिकार बना रहें हैं। जैसे - जैसे साल बीत रहें है, उसी प्रकार बलात्कार का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। संवाददाता ने कहा कि अब तो घरों में भी बलात्कार की खबर मिलते रहती है। जिस कारण से महिला और छोटी छोटी बच्चियां बाहर तो बाहर घरों में भी अपने आप को सुरक्षित महसुस नहीं कर पा रहीं है। अगर ऐसा चलता रहा तो आने वाले समय में इसे रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।
बिहार की सबसे बड़ी त्रासदी प्राकृतिक आपदाएं बारिश के मौसम में बिहार के अधिकांश जिले पर आया हर साल बाढ़ की चपेट में आकर तबाह हो जाते हैं इस वर्ष बिहार में बाढ़ की तबाही और त्रासदी की नौबत नहीं आई तो सुखाड़ किसानों के सिर पर चढ़ गया हमारे बिहार राज्य में 38 में से 26 जिले सूखा की चपेट में आ गई
Transcript Unavailable.
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बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से भीम राज मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि सूबे में आयुष्मान भारत योजना पिछड़ा हुआ है। देश में गरीबों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए शुरू की गयी आयुष्मान भारत योजना बिहार के 25 फीसदी से अधिक जिलों में शुरुआती फेज़ में पिछड़ती नज़र आ रही है। आलम यह है कि कई जिलों में योजना से जुड़ने के लिए एक भी आवेदन नहीं मिले है। स्वास्थ्य विभाग इस पर समीक्षा कर रहे है।