रामाशीष सिंह,मधुबनी खजौली से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताना चाहते है कि नारी अबला नहीं सबला है,नारी के लिए विभिन्न रूप है माता,बहन इत्यादि तथा इन रूपो में नारी का भारतीय संस्कृति में सहरानीय योगदान भी रहा है.शिक्षा और अभियान के कारण आज नारी रचयिता,महत्व और शक्ति को नहीं जानने के कारण अपने को कमजोर और असहाय समझती है लेकिन उन्हें अपने अतीत की ओर झाककर देखना चाहिए की नारी शक्ति कई रूपो में आगे आयी है.भारतीय संविधान में नारी को समान अधिकार है,आवश्यकता है उसे समझने,संगठित होने और अपने अधिकार और मान-सम्मान के लिए संघर्ष करने की।
