रामानन्द सिंह,मधुबनी से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताना चाहते है कि मधुबनी जिले में आज भी ऐसे विद्यालय है जहां बच्चो को पढ़ाई-लिखाई तो नहीं की जाती है लेकिन मध्यान भोजन जरूर चलता है वह भी कितने बच्चो के लिए चलता वह तो न ही कारगार रसोईया और न ही शिक्षक बता पाते है। इसी तरह एक स्कूल है झंझारपुर प्रखंड के रुपौली गांव में रुपौली राजकीय मिडिल स्कूल जहां रजिस्टर पर तो 750 छात्र-छात्राएं नामांकित है और उन्हें पढ़ाने के लिए 14 शिक्षक पदस्थापित है जो सिर्फ वेतन उठाते है और गप्पे करते है। हर रोज शिक्षको की उपस्थिति सिर्फ 2-4 ही हुआ करती है.इसी संदर्भ में जब संवादाता स्कूल पहुंचे तो पाया गया की छात्र-छात्राएं है ही नहीं स्कूल में,एक रूम में चार शिक्षक गप्पे कर रहे थे साथ ही दो शिक्षक स्कूल तो आये पर तबियत ख़राब का बहाना कर घर लौट गए वही दो रसोईया किचन में मध्यान भोजन बना रही थी और संवादाता के पूछने पर बताया की बच्चे खाना खाने के समय घर से आ जाते है।
