बिहार राज्य के मधुबनी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता सुकन्या जानकारी दे रही हैं की जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। किसान लगातार ही रासायनिक खादों का प्रयोग करते आ रहे हैं। जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति कम हुई। साथ ही जल प्रदूषण भी बढ़ा है।इसके साथ ही फसलों की गुणवत्ता में भी कमी आई है।इसके साथ ही अनाज में पौष्टिक की कमी के कारण हम सभी कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।इन दुष्प्रभावों को कम करने के लिए किसान को जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। जैविक खाद में हरी खाद,वर्मी कम्पोस्ट,गोबर खाद का प्रयोग कर सकते हैं। इन खादों को किसान खुद ही बना सकते हैं।