चौसा गाँव में चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा में मंगलवार को कथा वाचक पंडित आलोक मिश्र साहित्यआचार्य ने पूतना वध का प्रसंग सुना कर उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कृष्ण जन्म के बाद कथा को आगे बढ़ाते हुए व्यास ने कहा कि जब माया रूपी देवकी की कन्या ने आकाश में जाकर यह भविष्यवाणी की कि कंस तेरा काल गोकुल में जन्म ले चुका है। तभी से कंस के रातों की नींद और दिन का चैन छिन गया था, वह शोक में व्याकुल होने लगा। अपने राजा की इस परिस्थिति को देख उसके कपटी मंत्रियों ने गोकुल में जन्म लेने वाले हर बालक के वध करने का प्रस्ताव उसके सामने रखा। गोकुल पर चढ़ाई करने से विद्रोह की आशंका से कंस ने पूतना नाम की राक्षसी को अपने दरबार में बुलाया तथा उससे नंद के यहां जन्मे बालक को मारने का आदेश सुनाया। जिस पर पूतना एक सुंदर स्त्री का रूप बना कर नंद बाबा के यहां पहुंच गयी तथा पालने में खिलखिलाकर हंस रहे बाल रूप श्रीकृष्ण को निहारने लगी। पालने के पास किसी को न देख उसने झट से श्रीकृष्ण को उठा लिया और अपने स्तन में लगे कालकूट नामक विष का उन्हें पान कराने लगी। भगवान ने पहले तो विष पिया फिर उसका दूध पिया और उसके बाद प्राणों की भी पीने लगे जिस पर वह तड़पने लगी। वह श्रीकृष्ण को लेकर तुरंत आकाश में उड़ गयी तथा अपने असली वेष में आ गयी। कुछ ही देर में भगवान ने उसके प्राण हर लिये तथा वह नंद गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित एक जंगल में गिर पड़ी। इधर महल से नंदलाल के गायब होने की खबर नगर में फैली तो हाहाकार मच गया। मां यशोदा अचेत हो गयी । नंद बाबा भी परेशान हो उठे, इतने में किसी ग्वाल ने सूचना दी कि गांव के बाहर एक विशालकाय राक्षसी मरी पड़ी है। सभी नगर वासी वहां पहुंचे तो देखा कि श्रीकृष्ण उसके शरीर पर अठखेलियां कर रहे हैं । किसी तरह से लोगों ने श्रीकृष्ण को वहां से उतारा और दूध से स्नान करा कर उन्हें शुद्ध किया। जब कथा व्यास ने पूतना वध का प्रसंग सुनाया तो पंडाल में मौजूद सभी श्रद्धालुओं ने श्री राधे-राधे बोलकर खुशियां मनाई। कथा संयोजक अशोक सिंह व शीला सिंह ने भगवान की आरती उतारकर प्रसाद वितरित किया। इस मौके पर सोनू सिंह, शिवम सिंह, अमन, प्रदीप विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे