समस्या

सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ावा और आनलाईन शिक्षा सुविधा हेतु स्व.तिलकराज सिंह महाविद्यालय अलीपुरजीता में नि:शुल्क टैबलेट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्य उपस्थित रहे।इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित कर टैबलेट का वितरण किया। इस मौके पर मंडल अध्यक्ष अझुआ रामराज मौर्य जी ,प्रधान संघ अध्यक्ष कड़ा अनिल शर्मा, विद्यालय के प्रबंधक उमेश सिंह,अतुल त्रिपाठी सहित तमाम अध्यापक गण उपस्थित रहे।

कड़ा विकास खण्ड के दौलतपुर कसार स्थित श्री रामअधीन रामदास शर्मा इण्टरमीडिएट कॉलेज में शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता रणविजय निषाद ने बच्चों के बीच 'हिन्दी की पाठशाला' लगाई है। इस दौरान शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने बच्चों को वर्ण, स्वर, व्यञ्जन, अक्षर, शिरोरेखा-व्यञ्जन, पञ्चमाक्षर का नियम, एक-जैसे दिखनेवाले शब्दों को उनके गुण-धर्म के साथ बताया, समझाया, लिखा और बच्चों से लिखाया।उन्होंने पाठशाला के दौरान बच्चों को तमाम जरूरी टिप्स भी दिए हैं।

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

न्यूज शॉर्ट सर्किट

भरवारी के मेहता रोड़ भवंस मेहता विद्याश्रम भरवारी में शॉर्ट सर्किट के चलते मंगलवार की सुबह आग लग गई, विद्यालय सुबह सफाई के लिए पहुंचे कर्मचारी ने प्रिंसिपल के कमरे में आग लगी देखी तो स्टॉफ को सूचना दी,स्टॉफ दौड़कर आया और फायर ब्रिगेड को इसकी जानकारी दी और आग बुझाने में जुट गए,लगभग 20 मिनट बाद पहुंची फायर ब्रिगेड टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया,लेकिन तन तक आग से प्रिंसिपल के कमरे में रखा सारा सामान जरूरी कागजात फर्नीचर , कम्प्यूटर आदि जलकर राख हो गया। वही आग के चलते कई कमरे इसकी चपेट में आ गए लेकिन वहाँ आग सिर्फ लपटों के पहुंचने से कोई नुकसान नहीं हो पाया।

Event

सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

छात्रों में रचनात्मक विकास,जिज्ञासा का विकास,बच्चों को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने,समस्याओं का अंदाजा लगाने व तर्कशीलता को बढ़ावा देने की समझ को विकसित करने के उद्देश्य से विकास खण्ड कड़ा के सौरई बुर्जुग में स्थित कम्पोजिट विद्यालय में मंगलवार को छोटे छोटे समूहों के माध्यम से सिखाने का प्रयास किया गया।।बेसिक शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत बच्चों को परस्पर एक दूसरे से सीखने समझने के लिए विद्यालय स्तर पर प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रम संयोजक शिक्षक अजय साहू ने बताया कि इस प्रक्रिया में बच्चो को छोटे छोटे समूहों में बांटकर काम करने के लिए परस्पर प्रेरित किया गया। इससे प्रथम दिन ही उनमें सहयोग की भावना का विकास देखा गया। कार्यक्रम में बालिका वर्ग को प्रेरित करने वाली शिक्षिका राठौर शशि देवी ने बताया को किसी भी विषय मे अच्छी समझ रखने वाले विद्यार्थी को उसी विषय मे कम समझ रखने वाले विद्यार्थी के एक मेंटर के रूप में भी तैयार करने का प्रयोग किया गया। विद्यालय के प्रत्येक शिक्षकों द्वारा ऐसा प्रयोग प्रत्येक कक्षाओं में शुरुआत करने से छात्रों में एक नई चहल पहल रही व अभिभावकों द्वारा प्रयोग की सराहना की गई।

दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?