घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?

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हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

कौशाम्बी। जनपद के ऐतिहासिक मेला को देखने के लिए प्रभाषगिरि पभोषा मे लाखों की भीड उमडी । मेला की चाक-चौबंद सुरक्षा ब्यवस्था को लेकर क्षेत्राधिकारी सदर अभिषेक कुमार सिंह व उप जिलाधिकारी आकाश सिंह ने एक रणनीति के तहत पर्याप्त पुलिस फोर्स को लगा रखा था । जिसकी मानीटरिंग थानाध्यक्ष पश्चिमशरीरा धीरेन्द्र सिंह कर रहे थे। प्रौणिक कथ के अनुसार संसार में प्रकाश फैलाने वाले एवं अंधकार को दूर नष्ट करने वाले भगवान सूर्य देव सभी राशियों पर भ्रमण करते हूए मकर राशि में प्रवेश करते है 14 /15जनवरी के दिन भारत वर्ष में मकरसंक्रांति का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है अर्थात सूर्य देव के मकर राशि में आने पर लोग खिचड़ी का पर्व मनाते हैं इसी पर्व पर कौशांबी जनपद के प्रभाषगिरि पभोषा अर्थात सूर्य पुत्री मां यमुना नदी के किनारे इतिहासिक मेले का आयोजन किया जाता है 14 जनवरी को सभी जनपद वासियों व गैर जनपद वासियों को इस दिन का इंतजार रहता है । इस त्योहार पर प्रभास गिरी का मेला बहुत ही महत्वपूर्ण है इस मेले को देखने के लिए लाखों की भीड आती है । कौशाम्बी के अलावा फतेहपुर चित्रकूट बांदा प्रयागराज से लोग प्रभाष गिरि का मेला देखने आते। मेले का आकर्षण यहां बिकने वाली लाठियां व पत्थर के सिलबट्टे व अन्य सामग्रियां है । इस मेले पुरूषों से अधिक महिलाएं आती है जो मेले मे खरीदारी के साथ झूले का आनंद लेती है । मेले मे आने वाले दर्शक यमुना नदी मे स्नान करते है भूंजा लाई चना व मिठाई खाते है । इसके बाद जैन मंदिर व बहुलाधाम मंदिर का दर्शन करते है । प्रभाष गिरि पहाडी के उपर भी काफी लोग चढकर मंदिर का दर्शन व पहाड मे घूमने का आनंद लेते है । मेले के ब्यवस्थापक पूर्व प्रधान व वर्तमान प्रधान प्रतिनिधि सुनील तिवारी मेले मे आने वाले विशिष्ट लोगों व पुलिस फोर्स तथा अधिकारियों कर्मचारियों की ठहरने की व्यवस्था करते है । मेले मे किसी प्रकार की अब्यवस्था न हो इसके लिए एक कमेटी गठित कर वालंटियर लगा दिए जाते है जो पुलिस के साथ मिलकर मेले को सुव्यवस्थित व शान्तिपूर्ण सम्पन्न कराने मे सहयोग करते है। मेले का आयोजन 15 जनवरी को भी होगा क्योंकि मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सोमवार 15 पन्द्रह जनवरी को ही है ।

बैंकों की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने के उद्देश्य से सोमवार को कड़ाधाम थानाध्यक्ष आशुतोष सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने थाना क्षेत्र के विभिन्न बैंक शाखाओं में सघन चेकिंग अभियान चलाया। टीम ने विभिन्न बैंकों में पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान बैंकों में लगे सीसीटीवी कैमरों व आपातकालीन अलार्म की जांच के साथ जमा व निकासी काउंटर पर पहुंच ग्राहकों से पूछताछ करते हुए कर्मचारियों से भी आवश्यक जानकारी ली गई।थानाध्यक्ष ने बैंक कर्मचारियों को निर्देश दिया कि बैंक में आने वालों पर कड़ी नजर रखी जाए। कोई संदिग्ध नजर आए तो इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दें।

टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में लगे 17 दिनों में हर बार की तरह इस बार भी नेताओं से लेकर मीडिया का भारी जमावड़ा आखिरी दिन तक लगा रहा, जो हर संभव तरीके से वहां की पल पल की जानकारी साझा कर रहे था। इन 17 दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो गए, क्रिकेट विश्वकप का आयोजन हो गया,

सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।