युपी फतेहपुर,। मनरेगा के खेवनहार रहे श्रमिकों का योजना से मोह भंग हो रहा है। रोटी रोजी के जुगाड़ को लोग शहरों का रुख कर रहे हैं। नतीजतन करीब 80 फीसदी ग्राम पंचायतों में मनरेगा पर ब्रेक लगी है। वहीं मजदूरी की खातिर में लोग प्राइवेट कार्यों को तरजीह दे रहे हैं। दोआबा की 816 ग्राम पंचायतों में करीब ढाई लाख जाबकार्ड धारक हैं। मनरेगा में मेहनत करने के बावजूद श्रमिकों को मजदूरी पाने में महीनों जिम्मेदारों की परिक्रमा करना मुकद्दर हो गया है। पसीने की कमाई पाने की आस में श्रमिक गांव से लेकर ब्लाक तक चक्कर काट थक चुके हैं। उसके बावजूद आधी अधूरी रकम हाथ आ रही है। जमकर पसीना बहाने के बावजूद गरीबों को उनकी जरूरत पर मजदूरी न मिल पाने की वजह से मनरेगा से लगातार दूरी बना रहे हैं। कार्य योजना में शामिल कार्यों पर क्रियांवयन न होने से जिम्मेदार खासे परेशान हैं। करीब बीस फीसदी गांवों में ही मनरेगा कार्य चल रहे हैं। आन लाइन हाजिरी भी बड़ी वजह कमाई का जरिया रही मनरेगा अब प्रधान-सचिव की फजीहत का सबब बन रही है। दिन में दो बार साइट से आनलाइन मजदूरी भरे जाने के सरकारी फरमान ने शातिरों के अरमान पर पानी फेर दिया है। वहीं मौके से मोबाइल द्वारा फोटो सहित हाजिरी लगाने जरा से चूक मजदूर को मजदूरी से वंचित कर रही है। हालांकि कई ब्लाकों में मजदूरों के कपड़े बदलवा कर या साइड चेंज कर हाजिरी भरे जाने का चलन शुरु है। जरूरत पर मजदूरी न मिलने से दिक्कत दोआबा में निजी कामों में मजदूरी तीन सौ लेकर चार सौ रुपये तक है। जबकि मनरेगा में काम करने वालों का प्रतिदिन 230 रुपये ही मिलते हैं। उसपर भी करीब तीन से चार माह तक खातों में रकम नहीं पहुंच पाती। रोजगार सेवक द्वारा कम या हाजिरी नहीं लगाने पर विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है। समय पर मजदूरी न मिलने से श्रमिकों ने दूरी बना ली है। आवासों की मजदूरी से मनरेगा गतिमान विभाग की तमाम कवायदों के बावजूद मनरेगा की रफ्तार ठिठक गई है। जिला मुख्यालय से लेकर ब्लाक के जिम्मेदार मातहतों से कार्य में तेजी लाने का फरमान सुना रहे हैं। पीएम आवास में 90 दिनों की मजदूरी 20 हजार 700 रुपये मिलने से जहां लाभार्थी का फायदा होता है, वहीं मनरेगा योजना को फिलहाल जिंदा रखा है। आंकड़ों पर एक नजर 02 लाख 45 हजार 236 जाबकार्ड धारक दोआबा में हैं 19 हजार 347 जाबकार्ड वर्तमान समय में एक्टिव हैं तालाबों में पानी भरा होने एवं खेतों की बोआई हो जाने से प्रगति धीमी हुई है। गौशाला एवं सरकारी भवनों के निर्माण में जरूरत मंदों को काम दिया जा रहा है। दो माह बाद कार्य में तेजी आ जाएगी। -अशोक कुमार गुप्ता, डीसी मनरेगा