युपी फतेहपुर,। रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आने पर कुली-कुली की आवाजें अब दोआबा में सुनाई नहीं देतीं। जिससे दूसरों का बोझ उठाने वाले कुलियों द्वारा खुद का बोझ उठाने के लिए दूसरे कामों का सहारा लेना पड़ रहा है। रेलवे स्टेशन पर तैनात कुलियों को काम न मिल पाने के कारण परिवार का भरण पोषण किए जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार मानदेय की आवाज उठाने के बावजूद सुनवाई न होने से कुलियों में रोष दिखाई दे रहा है। पूर्व में रेल मंत्री की दखलंदाजी के बाद रेलवे स्टेशन पर तैनात कुलियों को रेलवे का कर्मचारी बनाया गया था। जिसके बाद से कुलियों की ओर ध्यान न दिए जाने के चलते इनको होने वाली परशानियों से निजात नहीं मिल पा रही। कहने को तो यहां पर कुलियों की लाइन में दो महिलाओं को भी लाइसेंस जारी किया गया था। लेकिन रेलवे स्टेशन पर तैनात कुलियों को घर का खर्च चलाने में भी परेशानियां खड़ी हो रही हैं। जिससे कुलियों को मोह रेलवे स्टेशन से भंग होता जा रहा है। कई बार कुलियों द्वारा प्रदर्शन करते हुए मानदेय दिए जाने की मांग करने के साथ ही आवाजें बुलंद की जा चुकी है। लेकिन सुनवाई न होने के चलते दुनिया का बोझ उठाने वाले कुलियों के सामने खुद के साथ ही परिवार का भरण पोषण किए जाने की समस्याएं खड़ी हो रही हैं। जिससे यहां पर तैनात कुलियों को खर्च चलाने के लिए दूसरे काम करने पड़ते हैं। 14 कुलियों के सापेक्ष दो महिलाएं शामिल रेलवे स्टेशन पर लाइसेंस धारक कुल 14 कुलियों की तैनाती है। जिनमें दो महिला कुली के अलावा 12 पुरुष कुली शामिल हैं। लेकिन रेलवे स्टेशन पर काम न मिलने के कारण वर्तमान में महज चार कुली ही यहां दिखाई देते हैं। कुलियों की माने तो रेलवे स्टेशन पर उपरगामी सेतु से आवागमन व अंडरपास न होने के कारण रेलवे लाइन पार कर लोग अपना सामान स्वयं लाते ले जाते हैं। जिससे उन्हें काम नहीं मिल पाता। वर्दी संग पांच माह के पास तक सीमित सीएमआई महेंद्र गुप्ता ने बताया कि कुलियों को रेल प्रशासन द्वारा साल में एक वर्दी के साथ ही पांच माह का पास जारी किया जाता है। वहीं कुलियों का कहना है कि प्रतिदिन महज सौ रुपये का काम मिल पाता है जिससे मजबूरीवश परिवार का खर्च चलाने को दूसरा काम भी करना पड़ता है। मानदेय दिए जाने की मांग के बावजूद सुनवाई नहीं की जा रही, साथ ही यहां पर पर्याप्त काम भी नहीं मिल पाता है।