सरकारी कार्यालयों का हाल हवाल, नहीं बदलते दिख रहे हालात जिले के सरकारी अस्पतालों व विभागों की स्थिति भी चिंताजनक कितनों के खिलाफ लगा जुर्माना लोग प्रशासन से यह आंकड़ा जानना चाहते हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान व तम्बाकू युक्त पदार्थों का सेवन करने वाले कितने लोगों पर अब तक जुर्माना ठोका गया है। आम तौर पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई न होने से लोगों लोगों में कोई भय नहीं रह गया है। फतेहपुर/खागा,। सरकारी दफ्तरों, अस्पतालों एवं शिक्षण संस्थाओं समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान, पान मसाला एवं गुटखा के सेवन पर रोक लगाने का सरकारी फरमान ‘तलबगीरों’ को नहीं रोक पा रहा है। सरकारी कार्यालयों एवं भवनों की गंदी दीवारें तथा सिगरेट के धुएं से लैस आबोहवा सारी कहानी कह रही हैं। तमाम बंदिशों के बावजूद अधिकारी, कर्मचारी एवं आम आदमी सरकारी कार्यालयों एवं संस्थाओं को गंदा बनाने पर तुले हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी कार्यालयों को धूम्रपान, गुटखा एवं पानमसाला से मुक्त करने का आदेश दिया था। प्रशासन ने इस बारे में संजीदगी से कदम भी उठाए लेकिन समय बीतते ही मुख्यमंत्री की मंशा हकीकत से दूर होने लगी। सरकारी कार्यालयों एवं अस्पतालों में अभी भी तलबगीर नियमों का मखौल उड़ा रहे हैं। हालांकि शिक्षण संस्थाओं को धूम्रपान एवं तम्बाकू मुक्त क्षेत्र घोषित किया है और इनके आसपास 100 मीटर तक तम्बाकू युक्त खाद्य पदार्थ बेचने पर पहले से ही मनाही है। इसके बावजूद शिक्षक एवं अभिभावक नियमों को धता बताने पर आमादा हैं। वहीं सार्वजनिक स्थानों में धूम्रपान पर पाबंदी होने के बावजूद सरेआम इस नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है लेकिन जिम्मेदार आम तौर पर नियम तोड़े जाने पर जुर्माना वसूली करते नहीं दिखते हैं। जिले के अधिकांश सरकारी कार्यालयों में पान मसाला, गुटखा व धूम्रपान का सेवन मजे से किया जा रहा है। बिडंबना की बात है कि इन दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी व अधिकारी भी तम्बाकू एवं धुंआ युक्त नशीले पदार्थों का सेवन करते दिख जाते हैं तो फिर आम आदमी पर रोक कैसे लगे। साहब ही खाएं तो दूसरों को कौन समझाए!ऐसे कई कार्यालय हैं जहां आला अधिकारी और कर्मचारी तंबाकू, गुटखा, पानमसाला एवं धूमपान का सेवन करते दिखते हैं। इन दशा में अधीनस्थों के साथ थानों एवं आफिसों में आने वाले आम आदमियों में नियमों के उल्लंघन का भय नहीं है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि सबसे पहले सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रधानों पर यह रोक लगनी चाहिए। सेवन करते पाए जाने पर इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।