समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?
भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने
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गोंड, खरवार जाति को जन जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की मांग को लेकर ऑल गोंडवाना स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से मॉडल तहसील में चल रहा ओ नेश्चितकालीन धरना बुधवार को 14 वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान वक्ताओं ने तहसील प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। वक्ताओं ने कहा कि जनजाति क। प्रमाण-पत्र निर्गत करने के लिए बलिया तहसीलदार ने नौ जनवरी को लेखपालों को आदेश दिया है। इसके बावजूद लेखपालों की शिथिलता बरतने के कारण मात्र आठ ही जनजाति प्रमाण-पत्र निर्गत हुए हैं। अभी भी सैकड़ों की संख्य में ऑनलाइन आवेदन लंबित हैं इसे लेखपाल मनमाने तरीके से अस्वीकृत कर रहे हैं। इससे गोंड खरवार छात्र नौजवानों में आक्रोश पनप रहा है। पुलिस भर्ती आवेदन की तिथि बिलकुल करीब आ गई गोंड, खरवारों का जनजाति प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहा है। संवाद
सिकन्दरपुर तहसील परिसर में शुक्रवार को जाति प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा व भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के सदस्यों ने लगातार चौथे दिन धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने तहसीलदार से जाति प्रमाण पत्र के जारी करने की मांग की । गोंड महासभा के जिलाध्यक्ष हरिहर प्रसाद गोंड के निर्देश में तहसील अध्यक्ष कविन्द्र गोंड़ के नेतृत्व में अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा व भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा सहित खरवार महासभा ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर तहसील प्रांगण में धरना प्रदर्शन किया। जहां वक्ताओं ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर शासन के आदेश का तहसील प्रशासन द्वारा अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यह सरकार गोंड़ व खरवार जाति के साथ अन्याय कर रही है। जिसका खामिया आने वाले चुनाव में सरकार को भुगतान पड़ेगा। चेताया कि जब तक गोंड़ व खरवार जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं होगा। हमारा आन्दोलन खत्म नहीं होगा। तहसीलदार पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगें। आन्दोलन और तेज करेगे। धरना में प्रमुख रूप से भा0 ज0 पा0 अनुसूचित जनजाति मोर्चा गोरक्षप्रान्त के उपाध्यक्ष दिलीप गोंड़, कविन्द्र गोंड़, हीरा लाल गोंड़, राघवेन्द्र खरवार, विजय गोंड़, बबलू गोंड़, रामजन्म गोंड़, वीरेंद्र गोंड़ आदि लोग मौजूद रहे। अध्यक्षता जगरनाथ जी व संचालन चंदन गोड प्रधान ने किया ।
डीजे बजाने को लेकर तो पक्षों में ईट पत्थर चल गया।
गॉड जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए पांचवें दिन भी तहसील परिसर में धरना जारी रहा।
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