सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से देश में महिलाओं की गरिमा बढ़ी तो है। हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है . दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- नौकरी की तलाश में महिलाओं को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। *----- आपके अनुसार महिलाओं के नौकरी से दूर होने के प्रमुख कारण क्या हैं? *----- महिलाओं को नौकरी में बने रहने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के बलिया जिला से मनु कुमार प्रजापति ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लिंग असमानता लिंग असमानता पारंपरिक रूप से समाज में लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव को संदर्भित करती है। महिलाओं को घर में समाज में एक कमजोर वर्ग के रूप में देखा जा रहा है, जिस कारण उन्हें सामाजिक अपमान और भेदभाव का सामना कर रही हैं। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया भर में व्याप्त है। दो हजार तेइस के वर्तमान वैश्विक लिंग अंतर सूचकांक में भारत एक सौ छियालिस देशों में से एक सौ सत्ताईसवें स्थान पर है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलिया जिला से मनु कुमार प्रजापति ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भूमि का अधिकार न केवल महिलाओं को बल्कि समुदाय को भी प्रभावित करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं, उनमे केवल 14 प्रतिशत महिलाएं हैं।

भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में यह कम आधार पर है। ।स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में महिला कार्यबल की संरचना विकसित हो रही है, जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त युवा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो श्रम बाजार में शामिल हो रही हैं। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आयु वाली आबादी होने का अनुमान है, जो 2030 तक लगभग 70% तक पहुंच जाएगी, लेकिन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का वर्तमान निम्न स्तर लगातार असहनीय होता जा रहा है।तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- महिलाएं किन प्रकार के कार्यों में अधिकतर अपना ज्यादा समय लगाती है ? *----- महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने में क्या क्या चुनौतियां आती हैं? *----- आपके अनुसार महिलाओं को कार्यस्थल पर किन प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है? और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत हैं? *----- क्या आपको भी लगता है कि समाज को इस दिशा में सोच बदलने की ज़रूरत है .?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलिआ से मनु कुमार प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि वर्तमान युग महिला सशक्तिकरण का युग है। महिलायें बहुत आगे बढ़ चुकी है लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में पीछे है। इसीलिए महिलाओं को समाज में और भी सख्त बनने की जरूरत है। सरकार को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम , दहेज निषेध अधिनियम जैसे कानूनों को लागू करना होगा।

तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

उत्तरप्रदेश राज्य के बलिया जिला से मनु कुमार प्रजापति ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि लैंगिक असमानता बचपन से ही शुरू हो जाते है। जन्म के समय से ही अपेक्षाओं और अवसरों के मानदंडों से ही लड़का और लड़की में भेदभाव होने लगता है। यह असामनता फिर जीवन भर बने रहता है। लड़कों को अक्सर स्कूल जाने ,शिक्षा प्राप्त करे और काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है वही लड़कियों को घर के काम का बोझ दिया जाता है। इस कारण लड़की स्कूल नहीं जा पाती है। जिससे बाल विवाह की समस्या बढ़ जाती है

दोस्तों, समाज में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए सामाजिक असमानता को दूर करना सबसे ज़रूरी है। शिक्षा, जागरूकता, और कानूनों का कड़ाई से पालन करके हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि _____ हमारे समाज में लैंगिक असमानता क्यों मौजूद हैं? _____आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए सरकार के साथ साथ हमें किस तरह के प्रेस को करने की ज़रूरत है ?

उत्तरप्रदेश राज्य के बल्लिया जिला से मनु कुमार प्रजापति ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता न केवल महिलाओं के विकास में बाधा डालती है, बल्कि राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रभावित करती है। ऐसा माना जाता है कि अगर महिलाओं को समाज में उनका उचित स्थान नहीं दिया जाता है, तो कोई भी देश पिछड़ेपन का शिकार हो सकता है। लैंगिक असमानता आज भी विश्व समाज के लिए एक चुनौती बनी हुई है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलिया ज़िला से मनु कुमार प्रजापति ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं को अधिकार मिलना चाहिए। जैसे अहिंसा से मुक्त होना ,स्वतंत्रता से जीवन में निर्णय लेना ,अपने पसंद का नौकरी करना ,सामान रूप से भुगतान आदि शामिल है