पति की मृत्यु के बाद विधवा का उसकी ज़मीन पर अधिकार कोई दया नहीं, बल्कि उसका कानूनी हक़ है। ज़रूरत इस बात की है कि क़ानून की जानकारी, प्रशासनिक सहयोग और सामाजिक समर्थन तीनों एक साथ मिलें। तभी विधवाओं के लिए “क़ानून में अधिकार” वास्तव में “ज़मीन पर अधिकार” बन पाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि , *--- क्या आपके गांव/मोहल्ले में विधवाओं के नाम ज़मीन का म्यूटेशन आसानी से होता है? *--- पंचायत या स्थानीय नेता विधवा अधिकारों की रक्षा में किस तरह की भूमिका निभा रहे हैं? *--- बेदखली के मामलों में प्रशासन कितनी जल्दी कार्रवाई करता है? *--- और क्या कानूनी सहायता केंद्र गांवों तक प्रभावी ढंग से पहुँच पा रहे हैं?

जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदिवासी महिलाओं को पैतृक संपत्ती में अधिकार को लेकर एक अहम फैसला देते हुए कहा कि केवल लिंग के आधार पर महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हक से वंचित नहीं किया जा सकता है.

आपदा राहत के दौरान भी महिलाओं की स्थिति चुनौतीपूर्ण रहती है। राहत शिविरों में कई बार अकेली महिलाओं, विधवाओं या महिला-प्रधान परिवारों की जरूरतें प्राथमिकता में नहीं आतीं। तब तक आप हमें बताइए कि , *--- जब किसी महिला के नाम पर घर या खेत होता है, तो परिवार या समाज में उसे देखने का नज़रिया किस तरह से बदलता है? *--- आपके हिसाब से एक गरीब परिवार, जिसके पास ज़मीन तो है पर कागज नहीं, उसे अपनी सुरक्षा के लिए सबसे पहले क्या कदम उठाना चाहिए?"? *--- "सिर्फ 'रहने के लिए छत होना' और उस छत का 'कानूनी मालिक होना'—इन दोनों स्थितियों में आप एक महिला की सुरक्षा और आत्मविश्वास में क्या अंतर देखते हैं?"

साल 2024 में राष्ट्रीय महिला आयोग को 25743 शिकायतें मिलीं जिसमें से 6,237 (लगभग 24%) घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं. इसी रिपोर्ट के अनुसार 54% शिकायतें उत्तर प्रदेश से आईं, जो घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों में उत्तर प्रदेश की प्रमुखता को दिखाता है. उत्तर प्रदेश से 6,470 शिकायतें आई थीं, तमिलनाडु से 301 और बिहार से 584 शिकायतें दर्ज की गई थीं.

दोस्तों, गरीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में महिला भूमि अधिकार एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है। यह केवल संपत्ति का हस्तांतरण नहीं, बल्कि शक्ति का हस्तांतरण है। तब तक आप हमें बताइए कि , *---- क्या आपको लगता है कि महिलाओं के नाम जमीन होने से परिवार की आय बढ़ती है? अपना अनुभव बताएं। *---- आपके गाँव में महिलाओं को जमीन के कागज़ात मिलने से किस तरह के बदलाव आए हैं? *---- क्या आपके परिवार या समुदाय में ऐसी कोई महिला है, जिसकी ज़िंदगी जमीन मिलने के बाद बदली हो?

बिहार राज्य के औरंगाबाद ज़िला से शिव कुमारी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से उदय से हुई। उदय कहते है कि महिलाओं को जमीनी अधिकार मिलना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महिला ही घर को चलाती है और चला रही है। इसलिए वो अपनी पत्नी को जमीन पर अधिकार देना चाहते हैं

बिहार राज्य के औरंगाबाद ज़िला से शिव कुमारी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रोता से हुई। वो कहते है कि लड़का और लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए। लेकिन हमारे समाज में आज भी लड़कियों को पराया धन मान कर उन्हें लड़कों के जैसा प्यार और अधिकार नहीं दिया जाता है। ऐसा ख़ास कर अशिक्षित लोग ही करते हैं। इसलिए सभी के लिए शिक्षित होना बहुत जरुरी है

बिहार राज्य के औरंगाबाद ज़िला से शिव कुमारी देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से मानती देवी से बात कर रही है। मानती कहती है कि माता पिता की संपत्ति में बेटा बेटी दोनों का हक़ है। लड़का का जितना हक़ है उतना लड़की का भी होना चाहिए। ये बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर का अधिकार देंगी

बिहार राज्य के औरंगाबाद ज़िला से शिव कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से मनोरमा देवी से बात कर रही है। मनोरमा कहती है कि लड़की को माता पिता की संपत्ति में हक़ मिलना चाहिए। जितना हक़ लड़का का है उतना हक़ लड़की का भी है। पिता का संपत्ति में अधिकार होने से लड़की मज़बूत बनेगी। भविष्य में बाल बच्चों का अच्छे से पालन करेंगी। ससुराल में नहीं मिलता है तो यही संपत्ति से रोज़ी रोटी करेगी

बिहार राज्य के औरंगाबाद ज़िला से सलोनी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से पूजा कुमारी से हुई। पूजा कहती है कि महिलाओं को भूमि में अधिकार मिलना चाहिए।कुछ पुरुष शराब का सेवन करते है उनपर भरोसा नहीं है। इसलिए भूमि पर अधिकार लेकर खेती बाड़ी करना चाहिए और बच्चों का पालन पोषण करना चाहिए। अगर पति चाहेंगे तो पत्नी को जमीन में अधिकार दे सकते है