बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को भूमि अधिकार के लिए लड़ना पड़ेगा, तभी महिलाओं को भूमि अधिकार मिलेगा। महिलाओं के भूमि अधिकारों को मुख्यधारा में लाने के लिए करने वाले संगठनों को यह चुनौतीपूर्ण लग सकता है,क्योंकि महिलाओं का सम्पत्ति का स्वामित्व परम्परागत रूप से अस्तित्वहीन या नगण्य रहा है। इसलिए आगे की योजना बनाना और महिलाओं के जीवन की गरिमा-सम्मान और उनके भूमि अधिकारों के बीच संबंध स्थापित करना सभी के लिए जरूरी है।महिलाओं से यह पूछने पर कि उनके लिए जमीन का क्या मतलब है, उनके बीच की बातचीत इस बिंदु पर पहुंची कि महिलाओं की गरिमा जमीन से कैसे जुड़ी हुई है। यहां तक कि जमीन के मालिक होने का विचार भी महिलाओं को आश्चर्य में डालने वाला और सशक्त बनाने वाला हो सकता है क्योंकि ज़मीन एक बड़ी सम्पत्ति होती है।महिलाओं को न केवल उनके भूमि अधिकारों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए बल्कि यह भी बताया जाना चाहिए कि कैसे उनका सम्मान इस अधिकार से जुड़ा हुआ है। इससे वे भूमि को अपने सम्मानजनक जीवन जीने के एक माध्यम के रूप में देख पाएंगी जिसकी उन्हें आकांक्षा भी होती है और जिस तक पहुंचा भी जा सकता है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।