बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला से सलोनी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिता या पति के जीवित रहते ही अगर औरत का नाम सम्पत्ति के कागजों में जोड़ दिया जाए तो, महिला को भूमि हक़ से जुड़ी चुनौतियों एवं समस्याओं से बचाया जा सकता है। यदि कोई महिला विधवा हो जाती है तो उसे सामाजिक नियमों के अनुसार एक महीने तक घर के अंदर रहना पड़ता है। मृत्यु प्रमाण पत्र की जरुरत और उनकी जानकारी के अभाव में आगे जा कर ऐसी महिलाओं का जीवन कठीन हो जाता है। अगर महिला मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के प्रयास में लगती है तब उन्हें नोटरी शुल्क सहित कई प्रकार के खर्च उठाने पड़ते हैं। इन कागजी कार्यवाई को पूरा करने में बहुत समय लगता है। औरतों को कई महीनों तक इसका इंतज़ार करना पड़ता है। इन सभी मुश्किलों से बचने का कोई रास्ता नही है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।