जब श्रीराम लंका के तट पर पहुंचे, तो रावण ने वानरसेना पर जासूसी करने के लिए दो राक्षसों शुक और सारण को नियुक्त किया। उन्होंने बंदरों का भेष धारण किया और राम की सेना की जासूसी करने का फैसला किया। श्रीराम की वानरसेना इतनी विशाल थी कि सेना के आरंभ और अंत का अंदाजा लगाना असंभव था। राम की सेना अनगिनत थी। उन्हें चारों ओर भालू और बंदर दिखाई दिये। ये सभी युद्धकला में निपुण थे। लेकिन जब विभीषण की नजर उन पर पड़ी तो तुरंत समझ लिया कि ये दोनों रावण के जासूस हैं।