कोतवाली देहात थाना क्षेत्र में दबंगों ने चौकी प्रभारी से अभद्रता की। शराब के नशे में धुत दबंगों ने दरोगा की वर्दी का कॉलर पकड़कर खींचा। फिर मोबाइल छीनने का भी प्रयास किया। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं एक की तलाश जारी है। नैपालापुर चौकी प्रभारी आशीष तिवारी ने बताया कि वह अपने हमराही हेड कांस्टेबल राहुल भदौरिया का अरुण ढाका के साथ क्षेत्र में चेकिंग कर रहे थे। अचानक उनको सूचना मिली कि कुछ लोग लोधी ढाबा के पास झगड़ा कर रहे हैं। वह लोधी ढाबा पहुंचे जहां तीन लोग गाली गलौज कर रहे थे। उसमें से एक युवक के हाथ में तमंचा था। वह उसे लहराकर धमकियां दे रहा था। दरोगा के समझाने पर तीनों युवक उसपर हमलावर हो गए और हाथापाई करने लगे। दबंगों ने उसकी वर्दी का काॅलर पकड़ खींचा और जान से मारने की धमकी दी। फिर मोबाइल भी छीन लिया। शोर सुनकर भगदड़ मच गई। आसपास के लोग डरकर अपनी दुकानें बंदकर भागने लगे। दरोगा के साथ मौजूद सिपाहियों ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

बिचौलिए कर रहे गन्ने की खरीद

मैं पल्लवी श्रीवास्तव सीतापुर मोबाइल वाणी से सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने गुरुवार को हड़ताल शुरू की। इससे समितियों पर ताले लटकते रहे। समितियों में खाद लेने के लिए पहुंचे किसानों को बैरंग लौटना पड़ा। धान क्रय केंद्रों पर भी तौल नहीं हो सकी। संघ की विभिन्न जरूरी मांगों के निस्तारण में जिम्मेदारों की लापरवाही से समिति सचिवों में नाराजगी है। वह बीते माह भी हड़ताल कर चुके हैं। इसके बाद हुई समझौता वार्ता पर भी अमल नहीं किया गया। हालांकि देर शाम एडीएम से हुई वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई। यूपी सहकारी समिति कर्मचारी संघ के आह्वान पर समितियों मेंं तालाबंदी रही। संघ का दावा है कि 204 सहकारी समितियों और 128 धान क्रय केंद्रों में पूर्णत: बंदी रही। लहरपुर मंडी समिति में स्थित चार धान क्रय केंद्रों पर धान की खरीद ठप रही, वहीं समितियों पर किसानों को खाद न मिल पाने के कारण मायूसी का सामना करना पड़ा।

उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर जिला के रामीपुर गावं से रामतीर्थ तिवारी बतातें है कि उनको सरकार से पेंशन नहीं मिलता है। जिसके कारण बहुत असुबिधा होती है

सीतापुर जिले के संदना थाना क्षेत्र में खेत जुतवाने गए नेवादा खुर्द निवासी इंदल (52) पुत्र जवाहर की रोटावेटर से कटकर मौत हो गयी। घटना के बाद उसके साथी ट्रैक्टर चालक इंदल के शव को पड़ोस के गन्ने के खेत मे फेंककर मौके से फरार हो गये। काफी खोजबीन के बाद रात ग्यारह बजे परिजनो को इंदल का शव गन्ने के खेत मे मिला जिसको परिजनों द्वारा आनन फानन जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने इंदल को मृत घोषित कर दिया। इंदल के परिजन दो ग्रामीणों पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। घटना के बाद से मृतक की पत्नी समेत बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक के छः बेटियां थी जिनमें चार की शादी हो गयी। गांव में सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा है। जो पत्नी समेत रोती बिलखती बेटियों को ढांढस बंधाने में जुटे हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सीतापुर से पल्लवी श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि मास्ट लाइट बहुत दिनों से ख़राब है जिसके कारण लोग परेशान है।

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पिछले कुछ वर्षों से सितंबर से लेकर शुरुआती दिसंबर तक डेंगू बुखार का भयानक प्रकोप देखने को मिलता आ रहा है। प्रतिवर्ष इस बुखार की तीव्रता, दायरा और मरने वालों की संख्या बीते वर्ष से ज्यादा देखने को मिलती है। सरकारी आंकड़े कुछ भी कहें लेकिन हमारे बिसवां क्षेत्र में ही इस वर्ष डेंगू एक महामारी के रूप में देखने को मिल रहा है। शायद ही ऐसा कोई घर हो जिसमे का कोई भी सदस्य इस बुखार की चपेट में न आया हो। सिर्फ बिसवां क्षेत्र में ही बीते तीन वर्षों में यह बुखार सैकड़ो जाने ले चुका है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में इस बुखार से मरने वालों की संख्या उतनी ही दर्ज होगी जितने में सरकार की बदनामी न हो। लोगों के मरने से लापरवाह सरकार इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ साफ सफाई रखने के कुछ प्रवचन दोहरा देती है और नगर पालिका थोड़ी बहुत दवाइयां (मच्छर मारने की दवा) का छिड़काव कर देती है और बस सरकार समझती है कि हमारा फर्ज पूरा हुआ, आदमी मरे या जिंदा रहे। लेकिन इस बुखार के साथ-साथ आप एक और दुष्चक्र में फंस जाते हैं, वह है डॉक्टर्स की कमीशन खोरी। आपके जैसे ही बुखार आएगा आपको डॉक्टर तुरंत जांच के लिए लिखेंगे और जांच में आपके डॉक्टर का 50% कमिशन बा ईमानदारी तय होता है जो सूरज ढलने के साथ ही प्रत्येक डॉक्टर के पास लिफाफे में पैक होकर पहुंच जाता है। हालांकि हम यह नहीं कह रहे हैं कि इस कमीशन खोरी में सभी डॉक्टर्स शामिल है। कुछ बहुत अच्छे डॉक्टर भी हैं जो इस कमीशन खोरी से बिल्कुल दूर रहते हैं और अपने मरीज के प्रति बेहद ईमानदार होते हैं लेकिन यह सच है कि कमीशनखोर डॉक्टर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कुकुरमुत्ते की तरह फैली पैथोलॉजी और डॉक्टर्स के बीच की इस कमीशन खोरी को एक साधारण व्यक्ति तो क्या पुलिस भी न तो पकड़ सकती है और न ही साबित कर सकती है क्योंकि जांच की फीस पैथोलॉजी वाला लेता है और वह उस फीस में से चुपचाप जांच लिखने वाले डॉक्टर को आधा पैसा बा ईमानदारी पहुंचा देता है। हां इस भ्रष्टाचार को अगर सीबीआई जांच हो तो जरूर पकड़ा जा सकता है, जो होने से रही। मतलब यह है कि एक तरफ, एक व्यक्ति जिंदगी मौत से जूझ रहा होता है दूसरी तरफ यह कमीशन खोर उसकी मजबूरी और बीमारी का फायदा उठाकर उसको खूब लूटते हैं। बहुत से मरीज तो इस कमीशनखोरी की वजह से कर्जदार तक हो जाते है। इस पूरी कमीशन खोरी की कहानी को सरकार और उसके प्रतिनिधि सभी जानते हैं लेकिन क्यों बोलें? क्यों लगाम लगाएं? जनता है मरने दो। देश की आबादी वैसे भी बहुत हो चुकी है।

राजीव की डायरी में जो मुद्दे उठे वो आजकल सामान्य हो गए है। स्कूल में न तो प्राधानाचार्य नियमों का पालन कर रहे हैं न ही टीचर। स्कूल की स्थिति बहुत ही खराब चल रही है। कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की जा चुकी । लेकिन समस्या जस की तस है। यहां बदहाली इतनी है कि कोई अधिकारी आता है तो सभी लोग जाग जाते है और फिर उनके जाते ही सब गायब हो जाते हैं। स्कूल में गंदगी इतनी की शब्दों में बयां भी नहीं कर पा रहे हैंं। दोस्तों मुझे राजीव की डायरी सुन कर बहुत ही अच्छा लगा। आप सभी से निवेदन है कि राजीव की डायरी जरूर सुने

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