मुझे मनरेगा भुगतान पंजिका दिखाइये...जैसे ही सीडीओ निधि बंसल ने महमूदाबाद ब्लॉक के लेखा सहायक मनरेगा से यह कहा, वह सकपका गए। किसी तरह भुगतान पंजिका सीडीओ के सामने रखी गई। रजिस्टर में मनरेगा भुगतान की तारीखें नहीं अंकित मिलीं। वहीं, एफटीओ अंकन पंजिका में बाबूपुर ग्राम पंचायत के रोजगार सेवक जय कुमार के हस्ताक्षर नहीं मिले। इस पर सीडीओ ने नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई। उन्होंने कर्मचारियों को रजिस्टर पूरा करने के निर्देश दिए। सीडीओ शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस के बाद महमूदाबाद ब्लॉक का औचक निरीक्षण करने पहुंचीं थीं। इस दौरान उन्होंने सीएम सामूहिक विवाह योजना संग सोशल सेक्टर की अन्य योजनाओं की प्रगति जानी। सीडीओ निधि बंसल ने सबसे पहले मीटिंग हॉल देखा। इसके बाद वह एडीओ समाज कल्याण प्रेमचंद्र के पटल पर पहुंचीं। सीएम सामूहिक विवाह योजना, वृद्धा, विधवा पेंशन आदि के प्राप्त आवेदन व निस्तारण की जानकारी ली।

खैराबाद नेशनल हाईवे से लहरपुर रोड को जोड़ने वाले नहर बाईपास को गड्ढों में तब्दील हुए सात साल बीत गए। इस मार्ग से निकलना मुश्किल हो रहा है। चीनी मिल शुरू हुई तो गड्ढों में डस्ट डाल दी गई, लिहाजा धूल व गुबार ने राहगीरों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। नगर विकास राज्यमंत्री यह बाईपास बनवाने के लिए चिट्ठी-चिट्ठी खेल रहे हैं। लेकिन अब तक इस समस्या से निजात नहीं दिला पाए। नेशनल हाईवे 24 से खैराबाद होते हुए नहर बाईपास लहरपुर फिर बिसवां मार्ग को जोड़ता है। बिसवां से वाया रेउसा होकर बहराइच व नेपाल जाने वाले वाहन भी इसी से गुजरते हैं। क्षेत्र के करीब 60 गांवों के लोगों के लिए थाना, तहसील, ब्लॉक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए यही रास्ता है। इस मार्ग पर तीन से चार फिट गहरे गड्ढ़े हैं। हरियावां चीनी मिल का भदियासी में सेंटर है।

किसान सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद का उद्घाटन हो गया, लेकिन तैयारियां अधूरी होने से पेराई अब तक शुरू नहीं की जा सकी है। मिल गेट पर सन्नाटा पसरा है। 16 हजार से अधिक किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जिले में पांच चीनी मिलें हैं। इनमें चार निजी, एक सरकारी है। निजी चीनी मिलों ने नवंबर में ही पेराई सत्र शुरू कर दिया था। लेकिन महमूदाबाद की किसान सहकारी चीनी मिल का पेराई सत्र अब शुरू नहीं हुआ। पेराई शुरू न होने के पीछे मिल प्रशासन मशीनों की मरम्मत का हवाला दे रहा है। मिल गेट के लिए 15 हजार क्विंटल का इंडेंट रविवार को जारी किया गया है, लेकिन मिल के 26 गन्ना क्रय केंद्रों का इंडेंट अभी जारी नहीं किए जाने से हाल-फिलहाल पेराई शुरू होने पर संशय बरकरार है। मिल न चलने से किसानों का गन्ना खेत में खड़ा है। खेत खाली न कर पाने से किसान रबी की बोआई नहीं कर पा रहे हैं।

लहरपुर में गोभी की फसल ने इस बार किसानों को तगड़ा झटका दिया है। इस समय थोक बाजार में गोभी एक से दो रुपये प्रति पीस में बिक रही है। इससे मुनाफा तो दूर लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। मजबूरी में किसान उपज को जानवरों के खिला रहे हैं। क्षेत्र में करीब पांच सौ बीघा क्षेत्रफल में फसल का उत्पादन हुआ है। नगर व ग्रामीण इलाके में गोभी की खूब पैदावार होती है। पिछले साल गोभी के अच्छे भाव मिलने से किसानों को उम्मीद थी कि इस बार भी दामों में और इजाफा होगा। इसके चलते इलाके में करीब 500 बीघा जमीन पर इस बार पैदावार की गई थी। तीन माह के अंदर फसल तैयार हो गई। अब किसान इसे बाजार में लेकर पहुंच रहे हैं तो खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। अगर वह खरीदते हैं तो उन्हें बहुत ही कम रेट मिल रहा है। किसानों का कहना है एक पीस गोभी पर करीब चार रुपये की लागत आती है। अगर यह बाजार में सात से आठ रुपये तक बिके तो फायदा है वरना नुकसान हो रहा है। कुछ यही हाल बाजार का बना हुआ है।

सिधौली ग्रामीण उपकेंद्र से जुड़े करीब 100 गांवों में बिजली कटौती ने लोगों को खूब परेशान किया। दिनभर में महज तीन घंटे ही बिजली आई। कारण, ट्रांसफॉर्मर की क्षमता वृद्धि के चलते शटडाउन लिया गया था। दूसरे ट्रांसफॉर्मर से जोड़कर गांवों में कुछ घंटे ही बिजली दी गई। सुबह के समय बिजली न होने से पेयजल संकट भी खड़ा हो गया। बिजली न होने से सिंचाई भी प्रभावित हुई। करीब एक आबादी को परेशानी उठानी पड़ी। सिधौली ग्रामीण उपकेंद्र पर दो ट्रांसफॉर्मर रखे हुए हैं। एक पांच एवीएम व दूसरा 10 एमवीए का है। इस पांच एमवीए ट्रांसफॉर्मर की क्षमता बढ़ाकर 10 एमवीए की जाएगी। इसके लिए रविवार को शटडाउन लिया गया था। ट्रांसफॉर्मर से मास्टरबाग व महमूदाबाद मार्ग के करीब 100 गांव जुड़े हैं। इन गांवों में रविवार को बिजली आपूर्ति बाधित रही। दूसरे ट्रांसफॉर्मर के जरिए इन गांवों में दोपहर के समय महज तीन घंटे ही आपूर्ति दी गई।

हरगांव समिति के सचिव ने टिकरा गन्ना क्रय केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने गन्ना किसानों से बात ही नहीं की। कुछ देर तक धर्मकांटे व दस्तावेज का जायजा लेने के बाद सब कुछ ओके बताकर चले गए। टिकरा में गन्ने की अवैध मंडी लगाकर औने-पौने दाम पर खरीदारी को लेकर अमर उजाला ने खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद डीसीओ रत्नेश त्रिपाठी व सचिव भूपेश कुमार राय टिकरा क्रय केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे। लेकिन निरीक्षण रस्म अदायगी तक सीमित रहा। अधिकारियों ने न तो किसानों की समस्याओं को जाना और न ही पर्चियों के असमान वितरण पर कोई बात की। वहीं, जिला गन्ना अधिकारी रत्नेश त्रिपाठी व हरगांव गन्ना समिति के सचिव भूपेश कुमार राय के निरीक्षण की भनक दलालों को पहले लग गई।

सिधौली तहसील मुख्यालय से महज तीन किमी. की दूरी पर स्थित साधन सहकारी समिति, जुधौरा में शनिवार को ताला लटका मिला। इससे नाराज किसानों ने प्रदर्शन किया। खाद की आस में पहुंचे किसानों ने आरोप लगाया कि एक दिन पहले शुक्रवार को भी केंद्र बंद था। कई किसानों ने घर में रखा गेहूं व धान बेचकर केंद्र प्रभारी सुरेश श्रीवास्तव के पास खाद के लिए अपना पैसा जमा कर दिया था। अब समय पर खाद ही नहीं मिल पा रही है। सचिव भी दो दिनों से लापता हैं। उनका नंबर स्विच ऑफ है। केंद्र पर पहुंचे किसान बेनीपुर निवासी संजीव, बकरापुर भंडिया के आर्यन शुक्ला, पिपरा के राम नरेश व अन्रू ने बताया कि प्राइवेट दुकानों पर खाद मिल रही है। यदि यह पता होता कि खाद नहीं मिलेगी और खेत सूख जाएंगे, तो हम अपना पैसा केंद्र प्रभारी के पास जमा ही न करते। निजी दुकान से खाद खरीद लेते।

सीतापुर शहर कोतवाली पुलिस ने ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए एक युवक के चार लाख 44 हजार रुपये दो दिन में ही वापस करवा दिये। पुलिस ने एक बैंक खाते को फ्रीज करते हुए पीड़ित की धनराशि उसके खाते में वापस कराई। रामकोट के सहसापुर गांव निवासी देवेंद्र कुमार मौर्य ने बताया कि 31 अक्तूबर को उसके पास एक फोन आया। ठग ने ट्रेडिंग कंपनी का एजेंट बताते हुए पैसा निवेश किए जाने की बात कही। ठग ने सारी जानकारी देते हुए पीड़ित को झांसे में ले लिया। पहले देवेंद्र ने 16 हजार 500 रुपये कंपनी के खाते में भेज दिए। ठग ने धीरे-धीरे लॉट (ट्रेडिंग का एक शब्द) खरीदने की बात कहकर रुपये ले लिए। फिर घाटा होने की बात कहकर डराते हुए और रुपये देने की बात कही। इस तरह से उसने चार लाख 44 हजार 500 रुपये ठग लिए।

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उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सीतापुर से चन्दन मिश्रा, की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शुभम कुमार से हुई। शुभम कुमार बताते है कि उनको इंदिरा आवास योजना का लाभ और शौचालय का लाभ नहीं मिला है।