अधिकांश ग्राम पंचायतों में मुक्तिधाम नहीं बने हैं। इससे यहां के लोगों को अंत्येष्टि करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। समय-समय पर लोगों की ओर से शासन और प्रशासन से मुक्तिधाम बनवाने की मांग भी की जाती रही है। इस समस्या का निस्तारण करते हुए मनरेगा से 56 ग्राम पंचायतों में एक-एक मुक्तिधाम बनवाया जाएगा। इस पर करीब 5.17 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जिले में 1588 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से अधिकांश में मुक्तिधाम नहीं हैं। इससे ग्रामीणों को अंत्येष्टि करने में दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। पंचायती राज विभाग की ओर मुक्तिधाम बनवाने के लिए ग्राम पंचायतों को धनराशि दी जाती है, लेकिन यह लक्ष्य बहुत कम होता है। इसीलिए मनरेगा योजना से भी मुक्तिधाम बनवाए जाएंगे, जिससे अधिक ग्राम पंचायतों को लाभ मिल सके। वर्तमान वित्तीय साल में 56 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। यहां मुक्तिधाम बनाए जाएंगे।
दिवाली पर जिला अस्पताल ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। बर्न वार्ड में 10 बेड रिजर्व किए गए हैं। इस वार्ड में एक सर्जन, एक फिजीशियन, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती कर दी गई है। ये तीन शिफ्टों में 24 घंटे तैयार रहेंगे। इन चिकित्सकों की ड्यूटी शनिवार से सोमवार तक रहेगी। रविवार को दिवाली है। इस दिन होने वाली किसी भी दुर्घटना से निपटने के लिए जिला अस्पताल तैयार हो गया है। बर्न यूनिट 24 घंटे क्रियाशील रहेगा। आठ-आठ घंटे में सर्जन, फिजीशियन व हड्डी रोग विशेषज्ञ ड्यूटी करेंगे। साथ ही इमरजेंसी में तीन ईएमओ तैनात किए गए हैं। सीएमओ ने दो चिकित्सकों को जिला अस्पताल में तैनात कर दिया है। शहर सहित ग्रामीण इलाकों में भी सुविधाएं बेहतर रहेंगी। सीएमओ ने सभी सीएचसी को 24 घंटे खुला रखने के निर्देश दिए हैं। सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि सीएचसी में इमरजेंसी खुली रहेगी। सभी सीएचसी में पटाखा व आग से झुलसे मरीजों का इलाज होगा। सीएचसी पर दवा उपलब्ध करा दी गई है। हर सीएचसी पर एक एंबुलेंस हर समय तैयार रहेगी।
सीतापुर-लखीमपुर 2015 मीन पुरवोत्तर रेलवे 99ए क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज की मंजरी मिली थी, उस वक्त लोगों के चेहरे पर मुस्कान दिख रही थी। उन्हे उम्मीद थी कि वो भी ओवर ब्रिज के जरिए जलद ही सीतापुर-लखीमपुर का नॉन स्टॉप सफ़र कर सकेंगे। लेकिन उनका यह ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया है। धीरे-धीरे इस पुल को बनते हुए आठ साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक ब्रिज बनकर तैयार नहीं सका, हालांकि ब्रिज के दोनों सिरे कंप्लीट हो चुके हैं। क्रासिंग पर इनका ज्वांट बाकी है। वन विभग से पेड़ों को काटने की अनूमति न मिलने से यह कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, लेकिन इन नये साल जनवरी तक न सिर्फ पुल बनकर तैयार हो जाएगा, बल्कि लोगों का आवागमन भी शुरू हो जाने की पूरी उम्मीद है।
रक्षा के क्षेत्र में करियर देश में सबसे प्रतिष्ठित एवं सम्मानित करियर में से एक माना जाता है। ऐसे युवा जो उत्साह, साहस एवं चुनौतियों से भरे क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए रक्षा क्षेत्र सबसे बेहतर विकल्प है क्योंकि यह उनकी सारी पेशेवर उम्मीदों की पूर्ति करता है। भारतीय सशस्त्र बल समान रूप से पेशेवर सेवाएँ देने वाला भारत का सैन्य बल है जिसके अंतर्गत भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना एवं भारतीय तटरक्षक बल आते हैं। विभिन्न अर्ध-सैनिक बल संगठन एवं अंतर-सेवा संगठन भारतीय सशस्त्र बलों को सहायता प्रदान करते हैं। रक्षा मंत्रालय भारतीय सशस्त्र बलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
लीवर के खराब होने के शुरुआती लक्षण व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, लेकिन ये लक्षण अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ भी आ सकते हैं, इसलिए एक चिकित्सक की सलाह और परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। थकान आना, पेट में दर्द होना, पेट में सूजन आना, नीली त्वचा और आंखों का पीलापन (जॉन्डिस) होना, बार-बार मूत्र और पानी निकलना, बदलते आकार का पेट जैसे कोई भी लक्षण आप को महसूस हो रहे है तो आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। यदि आपको इन लक्षणों में से कुछ दिखाई दे रहे हैं या आपको लीवर समस्या का संदेह है, तो आपको तुरंत एक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। चिकित्सक आपकी मेडिकल हिस्ट्री सुनेंगे, आपकी जांचें करेंगे, और उपयुक्त उपचार का सुझाव देंगे।
राजीव की डायरी में जो मुद्दे उठे वो आजकल सामान्य हो गए है। स्कूल में न तो प्राधानाचार्य नियमों का पालन कर रहे हैं न ही टीचर। स्कूल की स्थिति बहुत ही खराब चल रही है। कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की जा चुकी । लेकिन समस्या जस की तस है। यहां बदहाली इतनी है कि कोई अधिकारी आता है तो सभी लोग जाग जाते है और फिर उनके जाते ही सब गायब हो जाते हैं। स्कूल में गंदगी इतनी की शब्दों में बयां भी नहीं कर पा रहे हैंं। दोस्तों मुझे राजीव की डायरी सुन कर बहुत ही अच्छा लगा। आप सभी से निवेदन है कि राजीव की डायरी जरूर सुने
धनतेरस पर शुक्रवार को खूब कारोबार हुआ। बाजार दमका। बर्तन, कार, बाइक, इलेक्ट्राॅनिक व सराफा बाजार मेें दिनभर रौनक रही। ग्राहकों ने दिल खोलकर खरीदारी की। सुबह शुभ मुहूर्त में शुरू हुआ खरीदारी का दौर देर रात तक चलता रहा। जिले में करीब सवा अरब का कारोबार हुआ। एडवांस बुकिंग वाले ग्राहकों को जहां पहले सामान मिला। वहीं नए ग्राहकों को थोड़ा इंतजार करना पड़ा। सीतापुर में 15 करोड़ रुपये का करोबार हुआ। अधिकतर लोगाें की पसंद 100 से 500 रुपये तक के बर्तन रहे। इनकी जमकर बिक्री हुई। कई जगहों पर तो कटोरी, गिलास, थाली खत्म हो गई। वहीं, 32 करोड़ के उपकरण बिके। विक्रम इंटरप्राइजेज ने बताया कि इस बार की धनतेरस पर पिछले सालों की तुलना में अच्छी बिक्री हुई है। करोड़ों के व्यापार से अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं, धनतेरस के दिन शादी के लिए आभूषण भी खूब खरीदे गए। इससे बाजार में रौनक दिखी। जिले में करीब 40 करोड़ का कारोबार हुआ है।
बेटियों को संरक्षित और भरण पोषण के लिए सरकारों द्वारा कई स्कीम चलाई जाती है। इसी तरह की योजना यूपी सरकार की ओर से चलाई जाती है, जो 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद देती है। बेटियों के लिए योगी सरकार की इस योजना का लाभ ‘भाग्य लक्ष्मी योजना’ है। कन्या भ्रूण हत्या और लिंगानुपात को रोकने के लिए इस योजना को शुरू किया गया था। साथ ही शिक्षा को भी इस योजना के तहत कवर किया जाता है। सरकार इस योजना के तहत माता-पिता की आर्थिक मदद करती है और बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाती है। इस योजना के तहत बेटी के जन्म पर 50 हजार रुपये का बॉन्ड दिया जाता है। यह बॉन्ड 21 साल में मैच्योर होता है और 2 लाख का हो जाता है। बेटी के पालन पोषण के लिए जन्म के समय मां को अलग से 5100 रुपये दिए जाते हैं। जब बच्ची क्लास 6 में प्रवेश लेती है तो 3 हजार रुपये की मदद की जाती है। क्लास 8 में 5000 रुपये दी जाती है। इस योजना का लाभ उन्हीं लोगों को मिल सकता है जिसके पास आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, बालिका का जन्म प्रमाण पत्र, बैंक अकाउंट पासबुक, माता पिता का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर जरूरी है. रजिस्ट्रेशन आप up.nic.in पर जाकर करा सकते हैं.
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सभी लोगों को रोज पैदल जरूर चलना चाहिए इससे फिजिकल फिटनेस स्वास्थ्य सुधार में बहुत लाभ होता है कम से कम 30 मिनट सुबह सूर्य निकलने के आसपास हमें जरूर टहलना चाहिए और अगर हम नंगे पांव घास या जमीन पर टहलते हैं तो वह हमें बहुत जल्दी फायदा करता है। टहलने से शरीर तो फिट रहता ही है साथ ही साथ मस्तिष्क भी अच्छा महसूस करवाता है, लेकिन अगर हम लोग चप्पल जूता उतार कर टहलते हैं तो हमे बहुत जल्दी लाभ मिलता है। अगर लाभ लेना चाहते हैं तो बिना चप्पल जूता के टहलिए। डॉक्टरों का कहना है कि तीन महीना बिना चप्पल जूता के टहलते हैं तो आपके शरीर की बहुत सारी बीमारियां जड़ से खत्म हो जाएगी। पूरी की पूरी डायबिटीज शुगर ब्लड प्रेशर सब कुछ खत्म हो जाएगा। जो भी बीमारियां है पेट दर्द सिर दर्द गैस बनना अपच डाइजेशन की बीमारी सब कुछ खत्म हो जाएगा। मतलब किस-किस का नाम ले सब बीमारियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी।