"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल के लिए मिट्टी एवं बीज का चयन और बीज शोधन की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा मक्का फसल की बुवाई के बारे में जानकारी दे रहे हैं । विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

इस कार्यक्रम में एक परिवार बात कर रहा है कि कैसे बढ़ती गर्मी से बचा जाए। वे चर्चा करते हैं कि शहरों में ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, पानी बचाना चाहिए, और लोगों को इन बातों के बारे में बताना चाहिए। और सभी को मिलकर अपने आसपास की जगह को ठंडा और हरा-भरा बनाकर रखना चहिये

उत्तरप्रदेश राज्य के कुशीनगर से मिथिलेश प्रताप सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि केवल राज्य में बल्कि देश में भी लैंगिक समानता के बारे में व्यापक स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता है। आज के माहौल में जहां महिलाएं हर काम में पुरुषों का सहयोग कर रही हैं, वहां लैंगिक असमानता है। यह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए हमारे समाज के लिए एक बड़ा अभिशाप है। विदेशों में लैंगिक असमानता पर व्यापक काम किया गया है। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां महिलाएं अपने घरों तक ही सीमित हैं और अपने अधिकारों से वंचित हैं, लैंगिक असमानता को दूर करना सरकार के साथ-साथ आम जनता की भी जिम्मेदारी है। इसके बारे में जन जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है और कहीं न कहीं लोगों तक पहुँचकर और बातचीत में इसे उजागर करके उनके भ्रम को दूर करने की आवश्यकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के कुशीनगर से मिथिलेश प्रताप सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से रेनू से बातचीत किया। बातचीत के दौरान रेनू ने बताया कि सबसे जरूरी यह है कि महिलाओं मो घर में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त हो, क्योकि कई बार होता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर तो हैं वो कमा भी रही है। लेकिन उनके बैंक से लेन देन का अधिकार घर के पुरुष के पास रहता है। यानि उनके द्वारा कमाए गए पैसों पर ही उनका अधिकार नहीं होता है। तो जब आप आत्मनिर्भर भी हैं फिर भी अपने घर में निर्णय नहीं ले पा रही हैं तो यही पर महिला सशक्तिकरण के मायने ख़तम हो जाते हैं। बहुत लोग कहते हैं की महिला को आत्मनिर्भर होना जरूरी है लेकिन आत्मनिर्भर होने के साथ महिला को निर्णय लेने का अधिकार भी जरूरी है

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जुड़ी श्रोताओं के विचार

शुरू हो रहा है बच्चों से जुड़ी कहानियों और किस्सों का सिलसिला | जहाँ मनाएंगे बचपन, बच्चों के अंदाज़ में | सुनियेगा ज़रूर, बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ और मोबाइल वाणी की ये खास पेशकश |

यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा निकाली गयी मल्टी टास्किंग नॉन टेक्निकल के 4887 और हवलदार के 3439 पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी भी बोर्ड से दसवीं पास किया हो , इसके साथ ही उम्मीदवार की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 27 वर्ष होनी चाहिए। इच्छुक उम्मीदवार अपना आवेदन ऑनलाइन भर सकते हैं।अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है https://www.sarkariresult.com/ssc/ssc-mts-2024/ .याद रखिए इन पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 /07/2024 है ।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला कुशीनगर से निखिलेश प्रताप सिंह , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लैंगिक असमानता का न केवल देश में बल्कि दुनिया में भी बहुत प्रभाव पड़ता है। लेकिन जबकि विदेशों में बड़े पैमाने पर लैंगिक असमानता को बराबर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, भारत में छुआ -छूत ,उच्च और निम्न और पुरुष और महिला जैसे कई ऐसे प्रश्न हैं, जिनके कारण लोगों के बीच लैंगिक असमानता का विकार बना हुआ है। हमें मिलकर इस लैंगिक असमानता को समाप्त करने की आवश्यकता है, पुरुषों का उतना ही अधिकार है जितना महिलाओं का है । सरकार ने इस क्षेत्र में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कि संसद में महिलाओं की भागीदारी। महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करना और सरकारी योजनाओं और बड़े पैमाने पर महिलाओं को इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस क्षेत्र में लैंगिक असमानता को समाप्त करें, साथ ही महिलाओं के लिए जो सभी सरकारी योजनाएं है ,या जो अपेक्षित है , जो मुख्यधारा से बहुत दूर हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है और लैंगिक असमानता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने की बहुत आवश्यकता है।