हरदोई:ऑनलाइन ही मान्य होगी परिषदीय विद्यार्थियों की उपस्थिति *परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की उपस्थिति 15 फरवरी से ऑनलाइन ही मान्य होगी, मगर जिले में अभी तक शिक्षकों ने प्रेरणा एप पर लाॅगिन ही नहीं की। इससे 15 फरवरी से विद्यार्थियों की उपस्थिति ऑनलाइन करना संभव नहीं लग रहा है* जिले में 3446 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें से 2777 विद्यालयों को 5212 टैबलेट उपलब्ध कराएं गए हैं। विभाग की ओर से सभी टैबलेट का 14 रजिस्टरों का डिजिटलाइजेशन किया जाना था। मगर जिले में इसकी प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। अधिकांश टैबलेटों पर अभी तक प्रेरणा एप का डाउन लोड ही नहीं किया गया है। वहीं महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को आदेश जारी कर 15 फरवरी से विद्यार्थियों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। इससे परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में छात्रों की रियल टाइम उपस्थिति अपडेट करनी होगी। इसी के साथ मध्याह्न भोजन की भी डिजिटल पंजिका ही मान्य होगी। आदेश में कहा गया कि है कि शिक्षक एक अप्रैल से सितंबर 2024 तक स्कूल के दिनों में बच्चों की उपस्थिति सुबह आठ से नौ बजे के बीच और एक अक्तूबर से 31 मार्च 2025 तक सुबह नौ से दस बजे तक टैबलेट/ स्मार्टफोन से दर्ज करेंगे। वहीं एमडीएम के लाभार्थी, मेन्यू, खाद्यान्न आदि का विवरण भी प्रतिदिन भोजन के बाद अनिवार्य रूप से अपडेट करेंगे। इसके लिए एक अप्रैल से 31 सितंबर 2024 तक दोपहर 12 बजे और एक अक्तूबर से 31 मार्च 2025 तक 1.30 बजे का समय तय किया गया है। मगर विभागीय आंकड़ों के अनुसार मल्लावां ब्लॉक पर प्रेरणा एप डाउन लोड करने वालों की संख्या शून्य है। वहीं अन्य ब्लॉकों में एक से 10 प्रतिशत है। ऐसे में 15 फरवरी से विद्यार्थियों की रियल टाइम उपस्थिति दर्ज करना बहुत ही मुश्किल होगा। बीएसए विजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर विभागीय निर्देशानुसार डिजिटलाइजेशन का कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं।

*हरदोई: चार ग्राम पंचायतों ने नहीं दिया खर्च का हिसाब* *सात साल में ऑडिट आपत्तियों का निराकरण न कराने और खर्च का हिसाब-किताब न देने पर तत्कालीन जिम्मेदारों पर कार्रवाई शुरू की गई है। विकास खंड कोथावां की चार ग्राम पंचायतों ने 48.92 लाख से अधिक का हिसाब-किताब नहीं दिया है।* डीपीआरओ ने वसूली की प्रक्रिया शुरू की है। गांवों में विकास कार्यों के नाम पर खर्च होने वाली राशि के ऑडिट में मिलने वाली गड़बड़ी पर गांवों के जिम्मेदार न तो ऑडिट आपत्तियों का निराकरण करा रहे हैं और न ही कोई इसका हिसाब-किबात दे रहे हैं। लेखा परीक्षा कार्यालय और पंचायतीराज विभाग की नोटिस पर भी जिम्मेदारों ने कोई जवाब नहीं दिया है। लेखा परीक्षा विभाग ने ऑडिट आपत्तियों के निराकरण न होने की जानकारी शासन को भी दी है। पंचायतीराज विभाग को दी गई रिपोर्ट में तत्कालीन जिम्मेदारों से वसूली की संस्तुति की है। वर्ष 2016-17 में विकास खंड कोथावां की ग्राम पंचायत रायपुर सोमवंशी में 12,44,362 रुपये का हिसाब-किताब नहीं मिला था। तत्कालीन प्रधान कामिनी और नरामदनापुर में 14,08,165 रुपये की गड़बड़ी के लिए तत्कालीन प्रधान वीरेंद्र कुमार और पंचायत सचिव राजेश कुमार को दोषी बताया गया है। पंचायत सचिव की मौत हो चुकी है। भीखपुर ऐमा में 14,38,717 रुपये की गड़बड़ी के लिए तत्कालीन प्रधान सियाराम और ऊगपुर में 8,00,775 रुपये की गड़बड़ी के लिए तत्कालीन प्रधान शिवकुमार और दोनों पंचायतों के तत्कालीन और वर्तमान में अहररोरी में तैनात पंचायत सचिव नीरज मिश्रा को दोषी बताया गया है। डीपीआरओ विनय कुमार सिंह ने बताया कि सहायक विकास अधिकारियों के माध्यम से दोषियों को वसूली के नोटिस जारी किए गए है। जवाब न आने पर वसूली की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

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