#हरदोई सुरेन्द्र पाल पाठक कांप्लेक्स सिविल लाइन हरदोई में आयोजित साप्ताहिक श्री महाशिव पुराण कथा का सार तत्व व प्रवचन के दूसरे दिन श्रद्धालुओं की खूब भीड़ उमड़ी। कथा प्रवक्ता परम श्रद्धेय आचार्य बिमलेश दीक्षित महाराज ने श्री शिव पुराण कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन शिवाराधना का महत्व व विधि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिव पुराण को पढऩा किसी पोथी को पढऩा नहीं,साक्षात शिव को पढऩा है। इसे सुनना शिव को ही सुनना है और इसका गायन करना शिव का ही गायन करना है। इसके लिए कृपा तो भगवान की ही होती है। मगर इच्छा और प्रयत्न तो स्वयं का ही होता है और होना भी चाहिए। हमें भगवत कृपा से मानव देह मिला तो कम से कम भगवद् प्राप्ति की इच्छा तो हमें होनी चाहिए अन्यथा प्रयत्न भी क्यों करेंगे? और इसी प्रयत्न का प्रथम चरण है उन महापुरुषों के पास पहुंचना जहां हमें भक्ति की साधना मिलेगी, हम तदनुरूप करेंगे। इन संत वाणियों को ग्रंथों के रूप में संतों का संग ही मानना चाहिए और ढंग से इन ग्रंथों का पठन-पाठन कर जीवन में धारण करना चाहिए। तभी जीवन परिवर्तन होगा। वह होगा जो हो जाना चाहिए। यदि हम स्वयं को बदल न पाए, जीवन शैली सकारात्मक न कर पाए, तब केवल पढऩे-सुनने का कोई लाभ न होगा। श्री महाराज जी ने कहा कि शिवाराधना का उद्देश्य जीवन में सदाचार, बुद्धि में विवेक और हृदय में सद्भक्ति का हो जाना है, किंतु यह सब तभी होगा, यदि पूजा को पूजा के ढंग से करेंगे। एक आराधना करने वाले साधक के लिए शिव पुराण में सूत जी महाराज ने ऋषियों को 2 सूत्र दिए हैं। प्रथम तो जिस भी इष्ट के रूप में आप प्रभु की आराधना करते हो, आपको उसका तत्व से ज्ञान होना चाहिए और दूसरा सूत्र यह है कि हमें शिव जैसा होकर ही शिव की आराधना करने के पात्र हो सकते हैं। शिव सहज हैं और निर्मल अंत:करण वाले हैं। एक निर्मल हृदय वाले के भीतर ही भक्ति रस प्रवाहित हो सकता है तथा एक निर्मल अंत:करण वाला ही निरपराध हो सकता है। समाज को निरपराध बनाने के लिए मन को पापमुक्त अवश्य करना होगा। आचार्य अशोक मिश्र वेदाचार्य जी ने मूर्तियों का जलाधिवास करवाया ll इस अवसर पर कथा यजमान विनीत पाठक सनी पाठक आशुतोष बाजपेई मोहित पाठक आदि लोग उपस्थित रहे ll