हर व्यक्ति स्वस्थ्य और सेहतमंद रहने के बाद अपने रूप रंग और साज सज्जा पर विशेष ध्यान देता है। महिलाएं हों या पुरुष खुद को अप टू डेट रखना समय की मांग है, इस दिशा में कैरियर बनाने और कौशल विकास की बेशुमार संभावनाएं हैं। यह बातें आज क्षेत्रीय विधायक प्रदीप शुक्ला ने खजनी कस्बे में स्थित ग्लैम अप ब्यूटी पार्लर सैलून और ट्रेनिंग सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर कहीं वैदिक मंत्रों के साथ पूजन के बाद फीता काट कर शुभारंभ करते हुए उन्होंने बताया कि टेक्निकल,मेहनत,मजदूरी, खेती और पशुपालन के काम न हों तो आॅफिस,बैंकिंग आदि सेक्टर में हमारा फिजिकल फिटनेस और लुक अर्थात सुंदर दिखना बहुत महत्व रखता है। सेंटर के प्रबंधक अनंत मिश्रा ने बताया कि ट्रेनिंग सेंटर में एक महीने से लेकर 6 महीने तक प्रशिक्षण कोर्स हैं। जिसमें मेकअप, हेयर स्टाइल, मेंहदी और स्किन (त्वचा) से संबंधित विभिन्न पार्लर के कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा कोर्स पूरा होने पर उसका सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा साथ ही साथ सेंटर में नियमित रूप से पार्लर से जुड़ी सभी प्रकार की सेवाएं उपलब्ध होंगी। बहनें और बेटियां ट्रेनिंग लेकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इस अवसर पर विधायक के साथ पिपरौली ब्लॉक के प्रमुख दिलीप यादव भाजपा मंडल अध्यक्ष राम प्रकाश चौरसिया, दिलीप शुक्ला, उदय नारायण, आनंद नारायण, सुरेश शुक्ला, विपिन पांडेय, मनीष वर्मा, अंकिता शुक्ला,अंजली मिश्रा, सचिन गुप्ता, विवेक चतुर्वेदी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
गोरखपुर जिले के सिकरीगंज कस्बे के समीप स्थित कुंआंनों नदी में तैरते हुए मगरमच्छ को देख कर लोगों में दहशत फैल गई। वर्षों से कुंआंनों नदी में किसी को मगरमच्छ नहीं दिखाई दिया था। नदी के पानी में मछलियां पकड़ने पहुंचे मछुआरों ने जैसे ही पानी में तैरते हुए मगरमच्छ को देखा तो मोबाइल फोन से उसकी वीडियो भी बना ली। नदी में मगरमच्छ मिलने की जानकारी मिलते ही यह खबर क्षेत्र में जंगल के आग की तरह फ़ैल गई है। दरअसल कुंआंनों नदी के पानी में प्रायः बच्चे और युवा स्नान करने के लिए पहुंचते हैं, वहीं दिन हो या रात मछुआरे बेखौफ होकर नदी में मछलियां पकड़ने में लगे रहते हैं। पहली बार नदी के पानी में लोगों को मगरमच्छ दिखाई दिया है। स्थानीय लोगों में तबरेज, संतोष, हिमांशु, राहुल, विवेक मौर्या, सुधीर शर्मा,असलम, जावेद रमेश आदि ने बताया कि नदी में बाढ़ आई है पानी लबालब भर चुका है। पहली बार नदी के पानी में मगरमच्छ दिखाई दिया है, अब हम सभी को सतर्क रहना होगा।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आकांक्षा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की हाथरस में सतसंग की तैयारी से लेकर दुर्घटना के बाद तक लापरवाही बरती गई। कैसे बढ़ती लापरवाही सतसंग की तैयारी से लेकर आपदा के बाद तक हर कदम पर पहुंच गई, इतनी भीड़ मौत का सतसंग बन गई। जब तक व्यवस्था लापरवाह नहीं रही, तब तक न तो कोई समन्वय था और न ही कार्यक्रम में भीड़ के अनुमान के बारे में कोई सटीक जानकारी थी। घटना के बाद बीस हजार की भीड़ का शोर मच गया और जब तक मुकदमा दायर किया गया, तब तक यह आंकड़ा ढाई लाख तक पहुंच गया।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आकांक्षा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की पैतृक संपत्ति पर भी महिलाओं का अधिकार होना चाहिए। भारत में महिलाओं का भूमि और संपत्ति का अधिकार केवल कानूनी अवमानना का सवाल नहीं है, बल्कि सामाजिक जड़ता में निहित है जिसे आज के आधुनिक भारत में नैतिक आधार पर चुनौती दी जानी चाहिए। भारत के चुनिंदा देशों में, जहां संवैधानिक प्रतिबद्धता और कानूनी प्रावधानों के बावजूद, महिलाओं की आधी आबादी अभी भी जमीनी स्तर पर अपनी जड़ों की लगातार तलाश में है।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा असली डीएपी की पहचान करने के बारे में जानकारी दे रहे है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
नमस्कार आदाब श्रोताओं मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है, रोजगार समाचार यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो उत्तर प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा निकाली गई फार्मासिस्ट आयुर्वेद के 1002 पदों पर कार्य करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने फार्मेसी में डिप्लोमा किया हो। इसके साथ ही आवेदनकर्ता की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष होनी चाहिए। इन पदों के लिए आवेदन शुल्क सभी उम्मीदवारों के लिए 25 रुपए रखा गया है।अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है https://www.freejobalert.com/upsssc-pharmacist-ayurveda-2024/1075332/ ।याद रखिए इस भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 03-03-2024 है। तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी, तो मोबाइल वाणी ऐप पर लाइक का बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ भी बाँट सकते हैं।
जैसा की आपको पता ही है की वसंत ऋतू को ऋतुओं का राजा कहा जाता है और वसंत पंचमी का त्यौहार भी वसंत ऋतू में ही मनाया जाता है जी हां दोस्तों बसंत पंचमी मुख्य रूप से प्रकृति और भारतीय परंपरा से जुड़ा हुआ त्योहार है, जो बसंत के आने तथा ठंडी के जाने का संकेत देता है,जब फूलों पर बहार हो , जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं, खेतों में सरसों और आमों के पेड़ों पर बौर आने लगते हैं तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है।बसंत उत्सव बसंत ऋतु की ताजगी एवं खूबसूरती का उत्सव होता है इसका आगमन सभी के मन में एक अलग ही तरह की सकारात्मक ऊर्जा भर देता है। यह खुशियों के साथ-साथ शिक्षा, ज्ञान और समृद्धि का भी त्योहार है। इस दिन शहरों ,गांवों ,टोलो और कस्बों में सभी लोग खास कर नवयुवक और विद्यार्थीगण छोटे छोटे बच्चे माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं.तो आइये हम सब भी इस खुशनुमा ऋतू और उत्सव का आनंद उठाये। साथियों आप सभी को मोबाइल वाणी परिवार की ओर से बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।
खजनी गोरखपुर।। क्षेत्र के ज्यादातर किसानों की रबी की फसलों की बुवाई हो चुकी है। सिंचाई के बाद किसानों के खेतों में तैयार हो रही गेहूं, मटर, सरसों, दलहन,सब्जियों तथा पशुओं के हरे चारे बरसीन आदि फसलों की हरियाली खेतों में नजर आने लगी है। किंतु छुट्टा आवारा पशुओं और नीलगायों के आतंक से किसान परेशान और भयभीत हैं। भरोहियां गांव के निवासी किसान संजय तिवारी और जनार्दन तिवारी ने बताया कि छुट्टा पशु खेती का बहुत नुकसान कर रहे हैं। इसी प्रकार क्षेत्र के किसानों मिश्री लाल सुधाकर,अरविंद चौरसिया, प्रदीप, जवाहिर साहनी,राजू दूबे, भगवान दास,रामसिद्ध गुप्ता,ओमप्रकाश, श्यामबिहारी,भगेलू,सेवक,गिरधारी प्रसाद,नेबूलाल,रामसेवक, रामरेखा आदि ने बताया कि छुट्टा आवारा पशु और नीलगाय गांवों में एक साथ झुंड में निकलते हैं और जिस किसान के खेत में पहुंच जाते हैं वहां एक तिनका हरियाली नहीं बंचती। लोग खेतों के चारों तरफ कंटीले तारों का बाड़ लगा कर अपने खेतों की रक्षा कर रहे हैं। लेकिन नीलगाय छलांग लगा कर उन खेतों में भी पहुंच जाती हैं। किसानों ने बताया कि ठंडी बढ़ गई है और हमें पूरी रात जागकर टोली बनाकर खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है। सरकार ने छुट्टा आवारा पशुओं के लिए पशु आश्रय स्थल बनवाए हैं लेकिन छुट्टा आवारा पशुओं को पकड़ कर उन्हें वहां तक पहुंचाने की जिम्मेदारी किसी को भी नहीं दी गई है। किसानों के वश की बात नहीं है कि पशुओं को पकड़ कर उन्हें भेजें, तैयार हो रही हरी फसलों को बचाने में बड़ी परेशानी हो रही है।
गोरखपुर अनाज मंडी भाव 10 दिसम्बर
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