माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बच्चों के इशारों को समझना बहुत ज़रूरी है। कार्यक्रम सुनिए और बताइए,आप अपने छोटे बच्चे के इशारों से उसकी ज़रूरत को कैसे समझते हैं?
तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सशक्तिकरण कानून या सामाजिक मान्यताओं में खामियों के कारण महिलाएं भूमि के अधिकार से वंचित हैं महिलाओं को दुनिया भर में किसी न किसी कारण से भूमि का अधिकार प्राप्त करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। एक नई भूमि पर अधिकार देने से न केवल महिलाओं बल्कि समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाया जा सकेगा। आधी से अधिक आबादी महिलाओं की है, जो अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं, फिर भी अपनी भूमि से आजीविका कमाने वाले किसानों में से केवल चौदह प्रतिशत महिलाएं हैं। निजी संगठन रिसोर्स रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी एशिया में भी महिलाओं की संख्या कम है, जहाँ महिलाओं के भूमि अधिकारों को मान्यता दी गई है। ड्यू आई. आर. आई. के लिए काम करने वाली एक शोधकर्ता वीणा साल्सेडन कहती हैं कि उन देशों में भी महिलाओं को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। न ही महिलाओं को अपनी सामुदायिक भूमि के इतिहास की गहरी जानकारी है। भूमि पर काम करने के लिए जिम्मेदार होने के कारण, वे जानते हैं कि इसे कैसे प्रबंधित करना है और इसे उपजाऊ रखना है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सुरक्षित भूमि स्वामित्व गरीबी कृषि निवेश बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्मूलन महत्वपूर्ण है और यह जलवायु कार्रवाई और जलवायु लचीलापन का एक आवश्यक तत्व है, फिर भी महिलाओं की भूमिका पुरुषों की तुलना में भूमि का बहुत कम अधिकार है। ये नुकसान व्यापक हैं और कुछ आपदाओं के साथ, विश्व स्तर पर मजबूत हैं और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और उनके परिवारों की भलाई को सीमित कर रही हैं। भूमि आजीविका पहचान कृषि कार्यक्रमों में सामाजिक प्रतिष्ठा और सामाजिक सुरक्षा का आधार है। महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों को सुरक्षित करने की चुनौतियों का अवलोकन प्रदान करता है।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और जब हम सभी कहते हैं तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि महिलाएं समाज का एक हिस्सा हैं। समाज में एक बड़ी आबादी महिला है और हम इतनी बड़ी आबादी को अनपढ़ नहीं रख सकते हैं, इससे हमे बहुत बड़ा नुकसान होगा। यह सभी लड़कियों और महिलाओं को चाहे वे अमीर हों या गरीब हो ,चाहे युवा हो या वृद्ध, विवाहित हो या अविवाहित या विधवा या किसी भी सामाजिक स्थिति में, शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। शिक्षा कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं है बल्कि एक मौलिक अधिकार है। असमानता और भेदभाव हमेशा जड़ से शुरू होता है। एक समय ऐसा भी आता है जब एक लड़का स्कूल जाता है, उसकी बहन सिर्फ लड़की होने के कारण स्कूल नहीं जाती है, तो लड़की के दिमाग में भेदभाव का बीज बोया जाता है, उसे लगता है कि वह सिर्फ इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि वह एक लड़का है और किसी को इसे साबित करना पड़ता है। इसका कोई तर्कसंगत तर्क नहीं है कि जब महिलाएं लड़कों के साथ स्कूल और कॉलेज जाती हैं और शिक्षा में भाग लेती हैं, तो लड़कों को शिक्षा के अपने बुनियादी अधिकारों का एहसास होता है और उनमें श्रेष्ठता की भावना विकसित नहीं होती है।
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे बीमा के बारे में
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जागरूकता का अर्थ है लोगों की सामाजिक-सांस्कृतिक और नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता जब लोग समाज में होने वाली विभिन्न घटनाओं और गतिविधियों के प्रति सतर्क होते हैं। इसलिए वे सामूहिक जिम्मेदारी की भावना महसूस करते हैं, यह समाज में सहिष्णुता, समझ और सहयोग की भावना को मजबूत करता है। एक जागरूक समाज में, लोग एक-दूसरे की समस्याओं की जरूरतों को समझते हैं और मदद करने के लिए तैयार होते हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला विकास का सीधा संबंध गाँव के विकास से है, जब गाँव की महिला मिला सशक्त और शिक्षित होती हैं तो परिवार और समुदाय की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता में सुधार न केवल उनके जीवन स्तर को बढ़ाता है, बल्कि पूरे गांव के जीवन स्तर को भी बढ़ाता है। सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। शिक्षित महिलाएं बच्चों का बेहतर पालन-पोषण करती हैं और उनके स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक ध्यान देती हैं।
पूरी दुनियां के पुरूष प्रधान समाज में लिंग के आधार पर महिलाओं को सामाजिक भागीदारी बढ़ाने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। शिक्षा का हक़ अपनी इच्छा से विवाह करने का हक़ पहले पति के न रहने पर दूसरे पुरुष से विवाह करने का हक़ तथा पैतृक जमीनों अथवा परिवार की समृद्धि के लिए खरीदी जाने वाली जमीनों में महिलाओं को कोई हक़ हिस्सा नहीं देने की सदियों पुरानी परंपरा रही है। किंतु अब शिक्षा के बढ़ते प्रभाव और टेक्नोलॉजी तथा संचार माध्यमों के निरंतर विकास के कारण समाज में तेजी से महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा मिल रहा है। निश्चय ही यह एक बड़े सामाजिक बदलाव और सच्चे अर्थों में प्रगति तथा विकास को बढ़ावा देने वाली सकारात्मक सोच और नई दिशा मिलने का प्रमाण है।आज पैतृक जमीनों और परिवार की समृद्धि के लिए खरीदी जाने वाली जमीनों में महिलाओं का नाम भी नजर आने लगा है। महिलाओं के मान सम्मान के लिए उन्हें बराबरी का दर्जा देने के लिए इस बदलाव की जरूरत भी है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि महिलाओं को उनके हक़ और बराबरी का दर्जा मिलने से उनकी अहमियत कार्य दक्षता पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है। उद्यमशील महिलाएं सामाजिक परिवर्तन के साथ ही अपने कौशल का लोहा मनवाने में कामयाब हो रही हैं। अब वक्त आ चुका है कि पुरूषों को भी बेझिझक सभी क्षेत्रों में महिलाओं को उनका हक हिस्सा देने तथा प्रतिनिधित्व का पर्याप्त अवसर देने के लिए आगे आना होगा। आरक्षित पदों पर ग्राम प्रधान के पद से लेकर संसद सदस्य राज्यपाल और राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित महिलाएं बड़ी ही कुशलता से समाजिक हित के कार्यों को गति देने में लगी हुई हैं। किंतु आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष प्रधान समाज उन्हें प्रतिनिधित्व का पर्याप्त अवसर नहीं दे रहा है। विशेष कर महिला ग्रामप्रधानों को विकास खंड कार्यालयों तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता है। बल्कि प्रतिनिधि के रूप में परिवार के पुरुष सदस्य ही उन्हें घरों से बाहर नहीं निकलने देते। यह एक दु:खद स्थिति है इससे महिलाओं को लिंग भेद के शोषण का शिकार हो कर जीना पड़ रहा है। सरकार के द्वारा जमीनों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर कराने पर दी जाने वाली छूट के कारण आज बड़े पैमाने पर महिलाएं भू संपत्ति में अपना हक़ पाने लगी हैं। इससे घर के कामों के साथ ही कृषि,पशुपालन, स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर छोटे मोटे उद्योग धंधों के जरिए महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। किंतु "महिलाओं का विकास गांव का विकास" सुनिश्चित करने के लिए हमारे पुरुष प्रधान समाज में अभी भी महिलाओं को और अधिक अवसर देने की दरकार बनी हुई है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षा हमें नए कौशल सीखने और सभ्य तरीके से दूसरों के साथ संवाद करने में सक्षम बनाती है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है। इसलिए शिक्षा सुविधाएं प्रदान करते समय हमें लिंग या लिंग के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए, दुर्भाग्य से यह भेदभाव अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित है और इसलिए लोगों को यह समझने की आवश्यकता है।