गोरखपुर अनाज मंडी भाव 16 फरवरी
Transcript Unavailable.
कैप्चरिंग विपक्ष चुनाव और बुथकैप्चरिंग
घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?
मेडिसिटी में बड़े अस्पताल जाएछोटे को मिले पार्किंग
आरबीआई अर्थात वित्तीय नियमन की भारत सरकार की संस्था रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बंद किया 5₹ का यह सिक्का,मजबूरी में लेना पड़ा फैसला गोरखपुर।। पिछले कुछ समय में आपने इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि 5 रुपये के पुराने मोटे सिक्के आने बंद हो गए हैं। आसान शब्दों में कहें तो पुराने 5 रुपये के सिक्के पिछले कई सालों से बनने बंद हो गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार भारतीय करेंसी में नोट और सिक्के चलते हैं।आपने देखा होगा कि 5₹ का सिक्का कई तरह का होता है। एक पुराने वाला मोटा सिक्का होता है और एक इसके बाद आया है सुनहरे रंग का पतला सिक्का और स्टील का सिक्का। पिछले कुछ समय में आपने इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि 5 रुपये के पुराने मोटे सिक्के आने बंद हो गए हैं। आसान शब्दों में कहें तो पुराने 5 रुपये के सिक्के पिछले कई सालों से बनने बंद हो गए हैं। केवल बाजार में जो सिक्के बचे हैं, वही चल रहे हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया गया? क्यों इन सिक्कों के बंद करके नई तरह के सिक्के बनाए गए? दरअसल, इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह थी। आइए जानते हैं वो वजह क्या थी, सिक्कों से बनाए जाते थे ब्लेड, दरअसल, 5 रुपये के पुराने सिक्के काफी मोटे होते थे, लिहाजा इन सिक्कों को बनाने में भी ज्यादा मेटल लगती थी। ये सिक्के जिस मेटल से बने हुए थे, दाढ़ी बनाने वाला ब्लेड भी उसी मेटल से बनाया जाता है। जब कुछ लोगों को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने इसका गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया। हर एक सिक्के से बनते थे कई ब्लेड ज्यादा मेटल होने की वजह से इन सिक्कों को बांग्लादेश में गलत तरीकों से स्मगल किया जाने लगा। दरअसल, वहां इन सिक्कों को पिघलाकर इनकी मेटल से ब्लेड बनाया जाने लगा। एक सिक्के से 6 ब्लेड बन जाती थी और एक ब्लेड 2 रुपये में बिकती थी। इस तरह एक 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर उससे ब्लेड बनाकर 12 रुपये में बेचा जा सकता था। इस तरह वहां के लोगों को काफी फायदा होता था। सरफेस वैल्यू से ज्यादा थी इन सिक्कों की मेटल वैल्यू। किसी भी सिक्के की कीमत दो तरह से होती है। पहली होती है सरफेस वैल्यू और दूसरी होती है मेटल वैल्यू, सरफेस वैल्यू वो होती है जो सिक्के पर लिखी होती है। जैसे 5 के सिक्के पर 5 लिखा होता है और मेटल वैल्यू होती है, उसको बनाने के लिए इस्तेमाल हुई मेटल की कीमत। इस तरह 5 के पुराने वाले सिक्के को पिघलाने पर उसकी मेटल वैल्यू, सरफेस वैल्यू से ज्यादा थी। जिसका फायदा उठा कर उससे ब्लेड्स बनाए जाने लगे। बात पकड़ में आते ही आरबीआई ने उठाया ये कदम जब मार्केट में सिक्के कम होने लगे और इसकी भनक सरकार को लगी तो भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 रुपये के सिक्कों को पहले के मुकाबले पतला कर दिया और साथ ही इसको बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मेटल को भी बदल दिया ताकि बांग्लादेशी इनसे ब्लेड ना बना सकें।
टूटेगी दुकानें गोलघर में मल्टी फ्लेक्स की डिजाइन तैयार बदल रहा है गोरखपुर
हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे।अगर आपके पास है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर और जीतें आकर्षक इनाम।
सीएम का वादा मेरे रहते गरीबों कोकोई उजाड़ नहीं पाएगा
नारी शक्ति वंदन सम्मेलन में सीएम ने पूछा डो्न दीदी की ट्रेनिंग ली
