गोरखपुर फल मंडी भाव 26 फरवरी
गोरखपुर सब्जी मंडी भाव 26 फरवरी
जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3.
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15 हजार रूपए में शुरू करें सहजन की खेती, मुनाफा होगा 60 हजार रुपए। एक बार खेती करके आप पांच साल तक इसकी फसल ले सकते हैं। मुनाफा बढ़ता ही है। अगर आप बेहद कम लागत में मुनाफे की खेती करना चाहते हैं तो आप सहजन उगा सकते हैं। इसकी खास बात यह है कि आप बंजर-ऊसर जमीन पर भी सफलतापूर्वक सहजन की खेती कर सकते हैं। इस पौधे को बेहद कम पानी की जरूरत होती है। अगर एक एकड़ में आप इसकी खेती करते हैं तो आपको 15 हजार रुपए की लागत आएगी और आप 60 हजार रुपए तक मुनाफा कमा सकते हैं। एक बार खेती करके आप कम से कम पांच साल तक इसकी फसल ले सकते हैं। प्रति वर्ष मुनाफा बढ़ता ही है। एक साल में आने लगती है सहजन की फली गोरखपुर के अविनाश कुमार ने एक साल पहले इसकी खेती शुरू की है। उन्होंने बताया कि 15 हजार रुपए में तीन से चार किलो बीज और खेत की जुताई और बीज रोपाई में मजदूरी शामिल होगी। वे खेती में देसी खाद का प्रयोग करते हैं क्योंकि खेती प्राकृतिक तरीके से करते हैं। उन्होंने बताया कि एक साल में फली आने लगती है। आजकल बाजार में इसकी पत्तियों की काफी मांग है। इसकी पत्तियों की पहली कटाई 6 माह में की जाती है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था शबला सेवा संस्थान इसकी पत्तियां खरीद लेती है। संस्था के साथ जुड़कर बहुत से किसान सहजन की खेती कर रहे हैं। उनकी अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में कम लागत से मुनाफा अधिक होता है। औषधीय गुणों से भरपूर सहजन अविनाश कुमार ने बताया कि सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके पेड़ के अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों से रोकथाम दिलाने के गुण मौजूद हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के अमीनो एसिड मिलते हैं। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि होती है। संस्था खरीद लेती है किसानों की उपज सबला सेवा संस्थान की अध्यक्ष किरण यादव का कहना कि संस्था किसानों के साथ मिलकर खेती करवाती है। साथ ही उन्हें बाजार भी उपलब्ध करवाती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई किसान उनकी संस्था के मिलकर इस खेती को करता है तो समयावधि पूरी होने पर किसान की उपज भी संस्था खरीद लेगी, जिससे किसान को बाजार में भटकना न पड़े।
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