गोरखपुर। बुद्धालैण्ड राज्य की मांग पूर्वांचल के 8 करोड लोगों के आत्म सम्मान को वापस दिलाने का आंदोलन है। यह बात पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने प्रेस क्लब गोरखपुर में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कही । उन्होंने बताया कि पूर्वांचल सेना वर्ष 2006 से पूरी उत्तर प्रदेश के 27 जिलों को अलग राज्य बनाए जाने की मांग कर रही है, जिसके परिणाम स्वरुप वर्ष 2011 में तात्कालिक बसपा सरकार द्वारा के प्रदेश उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था, परंतु केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया, तात्कालिक समय में भाजपा द्वारा इस राज्य के बंटवारे का समर्थन किया जा रहा था परंतु वर्तमान में केंद्र और प्रदेश में भाजपा की पुर्ण बहुमत सरकारी बहुमत की सरकारी होने के बावजूद राज्य के बंटवारे पर कोई बात नही किया जा रहा है। कुल मिलाकर राजनीतिक पार्टियों की रस्सा–कसी में पूर्वांचल की 8 करोड़ जनता पिस रही है। आजादी के बाद देश में सत्ता के विकेंद्रीकरण के तहत जिन समस्याओं के निवारण के लिए देश के नीति निर्माताओ ने छोटे राज्यों के निर्माण की बात कही थी और उत्तर प्रदेश को छोटे राज्यों में विभाजित करने को कहा था वह समस्याएं आज के समय में वह और भी विकराल रूप ले चुकी है । 24 करोड़ की भारी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में असफल सरकारी योजनाएं, भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले, मुकदमों की बढ़ती संख्या से हाफता एकमात्र हाईकोर्ट, मरीज के बोझ से दम तोड़ती पीजीआई की चिकित्सा व्यवस्था, बोगस कानून व्यवस्था से पीड़ित जनता की दम तोड़ती न्यायऔर सुरक्षा की आस आज चीख चीखकर कर छोटे प्रदेश की मांग कर रही है । उन्होंने कहा कि हमारे बुद्ध, जैन, कबीर और गोरक्षनाथ की पहचान वाले क्षेत्र को लेबर बेल्ट के नाम से पहचान हमें असहनीय दर्द पहुंच रहा है। आज रोजगार के अभाव में अन्य प्रदेशों पर निर्भर हमारे लोगों को जगह-जगह प्रताड़ित किया जा रहे हैं, जो कि अब बर्दाश्त के बाहर है । उन्होंने कहा कि रोजगार, उद्योग, चिकित्सा और शिक्षा इत्यादि के लिए अन्य प्रदेशों पर लगातार बढ़ती निर्भरता इस बात का सबूत है कि हम पूर्वांचलवासी विकास की दौड़ में पिछड़ते जा रहे हैं, गरीबों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । प्रतिभा पलायन आज भी जारी है । उन्होंने कहा कि पूर्वांचल की ऐतिहासिक और संस्कृत समृद्धि को लगातार उपेक्षित किया जा रहा है, क्षेत्र में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन की संभावनाओं संभावनाओं का गला घोट जा रहा है । दुख की बात है कि राजनीतिक पार्टिया की सत्ता में वर्चस्व की चाहत 80 लोकसभा और 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश का बंटवारा नहीं करना चाहते, भले ही जनता का बंटाधार हो जाए । उन्होंने कहा कि अब हम 8 करोड़ पूर्वांचल वासियों को अपना हक अधिकार छीन लेना चाहिए उन्होंने कहा कि बुद्धालैण्ड राज्य का निर्माण पूर्वांचल वासियों की समस्या का स्थाई समाधान है, बुद्धालैण्ड नाम में ही इतनी क्षमता है कि हम अपने ऐतिहासिक सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतिनिधित्व करने के साथ हम लेबर जोन की पहचान से मुक्ति देकरअंतरराष्ट्रीय पहचान दे सकता है उन्होने कहा कि इस क्षेत्र में अकेले बुद्ध की बची खुची थातिया दुनिया में सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित हो सकती हैं । उन्होंने कहा कि अलग राज्य निर्माण के साथ ही अलग हाईकोर्ट, अलग लोक सेवा इकाइयां अलग प्रशासनिक इकाइयां स्थापित होंगी जिससे न्याय देरी, दूरी और संख्या कम होने से न्यायिक कार्यप्रणाली में तीव्रता आएगी, शाशनिक–प्रशासनिक संचालन सुलभ होगा ,इसके अलावा नए राज्य को मिलने वाले औद्योगिक रियायतों से दुनिया भर के उद्योगों को बुद्धालैण्ड राज्य आकर्षित करेगा, यहां की श्रम शक्ति को यही रोजगार उपलब्ध होगा और युवाओं को अपने बीवी बच्चे और बूढ़े मां-बाप को छोड़कर परदेस नहीं जाना पड़ेगा । उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के 8 करोड़ निवासियों को अपना आत्म सम्मान बुद्धालैण्ड राज्य लेने के लिए आर पार का आंदोलन शुरू करना होगा । उन्होंने कहा कि आगामी 7 जनवरी को बुद्ध लैंड राज्य में शामिल होने वाले 27 जिलों के प्रतिनिधियों के साथ बुद्ध लैंड राज्य की मांग को लेकर पदयात्रा आयोजित है, उन्होंने जनमानस से पदयात्रा में शामिल होने की अपील की।