बिहार राज्य के सुपौल जिला से हमारे श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर के के पाठक के योगदान के साथ ही सरकारी विद्यालयों में काफी बदलाव दिखाई देने लगा। बदलाव जारी है लेकिन सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड के कई विद्यालयों में अभी भी सुधार की जरूरत है। ऐसे विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के नामांकन के अनुपात में छे बच्चे स्कूल से पार रहते हैं। यानी आधे बच्चे स्कूल नहीं आते जिसके चलते मिड डे मील में खाना पूरी होती है। प्रखंड के मदरसुल बनात छिटही मे मंगलवार के दिन 403 नामांकन में से मात्र 210 छात्र उपस्थित पाए गए। विद्यालय के शिक्षकों का कहना था कि छे बच्चे स्कूल नहीं आए। किस कारण से आगे बच्चे स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं इसका कोई जवाब शिक्षकों के पास नहीं था। अगल-बगल के कुछ अभिभावकों का कहना था कि विद्यालय में उपस्थित छात्र-छात्राओं में से कभी डेढ़ तो कभी दोगुना उपस्थिति अधिक दिखाई जाती है। ऐसे अभिभावकों का कहना था कि शिक्षा में सुधार का मतलब छात्र-छात्राओं की कम से कम 90% उपस्थित हो और सभी को समान रूप से पढ़ाया जाए तब माना जाना चाहिए। ऐसा नहीं की कुछ ही छात्र-छात्र उपस्थित हुए और उसी को आधार बनाकर रिपोर्ट दी जाए।