सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ अशोक झा धान की फसल के लिए धान के नर्सरी तैयारी करने के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

बिहार राज्य के जिला गोपालगंज से हुसैन अली , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी सम्मान दें, पुरुषों को पीछे छोड़ने के बजाय जैसे मोदी जी कहते हैं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन बच्चे-बेटे नहीं देखते, कृपया हमें बेटे को भी देखना चाहिए

गोपालगंज जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ थावे में चैत नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी श्रद्धालु कतार बद्ध होकर माता रानी का दर्शन करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

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सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की समझ बढ़ा सकते है।ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी कोई मज़ेदार कहानी है, तो रिकॉर्ड करें, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

बिहार राज्य के गोपालगंज जिले वार्ड नंबर 11 की एक श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की उनलोगो को किसी भी तरह की सरकारी योजना का सुविधा नहीं मिल रहा है जिससे उन लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए... CTA: सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले मोबाइल वाणी पर, फोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

देश में हर साल 26 नवम्बर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। 26 नवंबर 1949 का दिन आजाद भारत के इतिहास का बड़ा ऐतिहासिक दिन था!