आईये जाने व समझे बाल्मीकि नगर लोकसभा की मतदाताओं की संख्या
बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िला से तबरेज़ आलम ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि लोकतंत्र का मतलब है गणतंत्र और गणतंत्र का मतलब है जनता की सत्ता। पर क्या ये सच है। आज जनता को क्या अपनी सत्ता का पहचान है। आज के दौर में जनता को हर पांच साल में एक बार गिना जाता है
बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण के अशोक कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की पानी की सुविधा नहीं है
बिहार राज्य के चम्पारण थरुहट जिले के प्रेम महतो ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की उनके यहाँ नल जल योजना के तहत पानी नहीं आ रहा है
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शोभा देवी/थुकहा रामपुर को नही मिल रहा है नल-जल सहित अन्य सुविधाओं का लाभ.
थरुहट मोबाइल वाणी में आपका स्वागत है नमस्कार , मैं गरीबी रेखा से नीचे की सरकार की ओर से राशन कार्ड बनाने के लिए बैलासंडी गवनहा से विमलेश्का जी हूं । यह सुविधा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार को प्रदान की जा रही है । यह पूरी तरह से मुफ़्त है । अगर कोई राशन कार्ड बनवाने के नाम पर पैसे मांगता है तो यह गलत है । आप चाहें तो इसके लिए जिला खाद्य आपूर्ति विभाग से शिकायत कर सकते हैं , हालांकि राशन कार्ड बनाना मुश्किल नहीं है , इसलिए जिला खाद्य विभाग आवेदक को आवेदन के साथ आय प्रमाण पत्र , परिवार की जानकारी , आधार कार्ड , स्थानीय निवास प्रमाण पत्र , परिवार की तस्वीर प्रदान करनी होगी । या इसके लिए ऑनलाइन सुविधा के लिए स्थानीय लोक सेवा केंद्र में जाकर और खाद्य आपूर्ति विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा ।
बोलो हमारे पटावो बाते तो हो राशन कार्ड में हम रामपुर से बोलते नहीं तो सिला दे हमारे पास । राशन कार्ड में कोई नाम नहीं था और गरीबी में हमारा कोई नाम करबाद हमी के इंदिरावा और पूच नहीं से नहीं मिला था । मेशा बात ऐसी बात है शहर में परेशान नहीं रहा पानी अब कुछ मिली तो हम रही नहीं तो बहुत कर्धार दौलत मैना कान सेता हूं चार आदमी का राशन सवा लिया है ।
थरुहट ,नमस्ते , हमारा पूरा नाम अभी तक नहीं बना है , हमारा नाम पश्चिम चंपारण के मंत्री बिकी पाताल था ।
नमस्कार , मैं आप सभी का दीपुमाला देवी थरुहट मोबाइल वाड़ी में स्वागत करता हूं । जब बच्चा गर्भ में होता है तो वह कितनी मेहनत करती है , चम्मच और चर्चा से लेकर कठिन समय तक सब कुछ संभालती है । सभी जोखिम भरे काम पूरे हो जाते हैं , सारी आशा आशा पर टिकी होती है । कोरोना महामारी में सभी आशाएँ बहनों द्वारा पूरी की जाती हैं । वह अपने ही घर में रहता था और किसी को घर से बाहर नहीं निकलने देता था , लेकिन आशा ऐसी कड़ी है , ऐसा कर्मचारी काम करता है । कि इतनी सारी महामारियों के बाद भी उम्मीद थी , जिसकी बदौलत हर गांव में टीके लगाए जा रहे थे । यश कितना जोखिम उठाता है , फिर भी सरकार आशा के बारे में तब तक क्यों नहीं सोच रही है जब तक गर्व से जो खाट में नहीं गिर जाता । वह उसकी देखभाल भी करता है , फिर भी सरकार इसकी अनदेखी कर रही है । अभी तक कुछ नहीं हुआ है ।