मैनाटांड़ , मेरा नाम राधाराण साहनी है , मैं कमला नगर चौटा पंचायत वार्ड संख्या बारह से बोल रहा हूँ , मेरा पुलिस स्टेशन अतर पश्चिम चंपारण में है और मेरा ब्लॉक म्यातार आंचल नक्तिया गोज में है मेरे पास अभी तक कोई राशन कार्ड नहीं है ।
नाम कमलाटी डेडी पुलिस स्टेशन मानपुर
हम क्या हमेशा ये खुदा ना नाम और चार दिया ये हर बस समा नाम । जब हमें एनएबी पुलिस स्टेशन मानपुर पोस्ट सॉघाट से राशन मिला आमेन्घर्ने बा जीपी का बाना इंदिरागत्ने के साथ विलय
बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िला के मैनाटांड प्रखंड से तबरेज़ आलम ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि समाज में आर्थिक और भौगोलिक असमानता फैली हुई है। गरीबी एक ऐसा करक है जो शिक्षा में बाधा बनता है। गरीबी के कारण लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते है। फीस , स्कूली किताबें आदि का खर्च उठाने में असमर्थ होते हैं ।ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता का अभाव है। स्कूल में बिजली,पानी , शौचालयों,शिक्षक की कमी होती है। वही बच्चों को स्कूल जाने में बहुत दूर का सफर करना पड़ता है। बच्चों को शिक्षा की रौशनी से दूर कर दिया गया है
बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण के मैनाटांड प्रखंड के सिसवा ताजपुर से अंजलि कुमारी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि विद्यालय में विद्याथियों पर ध्यान देनी चाहिए। छात्र विद्यालय में जाते है तो छात्रों की स्वास्थ्य की स्थिति ज्ञात करना होता है। छात्रों में विभिन्न प्रकार के सामान्य रोगों का पता लगाना होता है। अगर छात्र विभिन्न दोष में लिप्त पाए जाते है तो उन्हें इस समस्या से निकालने में उनकी मदद करनी चाहिए। विद्यालय में स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना चाहिए।
बिहार/प.च./मैनाटाँड की धनीया देवी को साठ साल पूरा करने के बाद भी नहीं नही मिल रहा है वृद्धावस्था पेन्शन.
बिहार/प.च./मैनाटाँड ,शिशुआ से बसंती देवी का पी.एम.आवास सूची में नाम रहने के बावजूद नही मिल रहा है अनुदान राशि.
बिहार/प.च./मैनाटाँड से मूर्ति देवी कैसे करेगी अपने पाँच लड़कियों की शादी. है परेशान चारो से मिल रहा है दुत्कार.
बिहार राज्य के पश्चिम चम्पारण के मैनाटांड प्रखंड के भंगहा से तबरेज़ आलम ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि आज थरुहट क्षेत्र में ग्रामीण स्कूलों में अच्छी व्यवस्था नहीं है। मूलभूत सुविधाएँ की कमी है। शौचालय तो है पर पानी के अभाव में सफाई करना मुश्किल हो जाता है। बच्चों पाठ्य पुस्तक भी नहीं मिलती है। स्कूलों में बच्चों को खाना खिलने में ही शिक्षकों का अधिक समय बीत जाता है
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