सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा किसान भाइयों को बीज उपचार करते समय कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए उसकी जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ अशोक झा प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं।ऑर्गेनिक खेती करने में किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
खुद का खेल बनाना बच्चों को सीखने में मदद करता है, इससे उनका दिमाग तेज़ होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है | खेल में माता पिता का साथ बच्चों और उनके बीच के रिश्ते को और गहरा करता है | क्या आप अपने बच्चों के साथ उनके द्वारा बनाया गया कोई खेल खेलते है ?
उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा एक ऐसा कानून है जो गरीब मजदूरों को गाँव में 100 दिनों का रोजगार देता है। पर कही कही देखने को मिलता है की गाँव के लोग इससे भी वंचित रह जाते है
उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाज लिंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर भी भेदभाव कर रहा है। पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता अधिक दिखाई देती है। महिलाओं के पास सभी प्रकार के अवसरों के लिए कम अवसर हैं। पुरुषों को हर जगह अधिक अवसर दिए जाते हैं, चाहे वह पढ़ाई हो, खाना हो, जीना हो, उठना हो, बैठना हो।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा किसान भाइयों को खरीफ धान के नर्सरी हेतु खेत की तैयारी की जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
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उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव करने की जो रूढ़िवादिता चली आ रही है, वह आज भी देखी जा सकती है। लोग सोचते थे कि बच्चे जीवन भर मेरे साथ रहेंगे, वे अच्छा खा रहे हैं, अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, लड़कियां कम खाएंगी, वे कम शिक्षित होंगी, उन्हें एक दिन घर जाना होगा। ऐसी सोच बहुत थी और आज के समय में भी यह सोच इस समाज में है, लेकिन महिलाएं पुरुषों के क्रम में कहीं नहीं हैं। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, चाहे वह शिक्षा हो, नौकरी हो या अपने माता-पिता की देखभाल हो। बच्चों को उचित शिक्षा और उचित भोजन प्रदान करना अनिवार्य है क्योंकि प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाली महिलाएं ही हैं।