सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से देश में महिलाओं की गरिमा बढ़ी तो है। हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है . दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- नौकरी की तलाश में महिलाओं को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। *----- आपके अनुसार महिलाओं के नौकरी से दूर होने के प्रमुख कारण क्या हैं? *----- महिलाओं को नौकरी में बने रहने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाज महिलाओं को भूमि का अधिकार नही देना चाह रहा है। हमारा देश पुरुष प्रधान है और महिलाओं का कद्र नही किया जा रहा है। पुरुष हर जगह अपना वर्चस्व रखना चाहता है। पुरुष महिलाओं को अधिकार या हक़ देना नही चाहते हैं। सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए कि महिलाओं को सम्मान मिले तथा हर जगह पुरुषों के बराबर अधिकार मिले।

उत्तरप्रदेश राज्य के मौ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को समाज द्वारा भूमि के अधिकार से वंचित किया जाता है। यह वह समाज है जो महिलाओं के नाम पर भूमि लिखने के लिए तैयार नहीं है और न ही अपने अधिकार अर्जित करने के लिए उन्हें अपना सही हिस्सा देने के लिए तैयार है। जैसे एक माँ के अगर एक लड़की और एक लड़का है, तो लड़के का भूमि पर अधिकार है, लेकिन वहीँ लड़कियों को भूमि के अधिकार से वंचित किया जाता है। वह उन्हें यह देने के लिए सहमत हो जाता है कि हम लड़कियों के नाम पर जमीन नहीं देंगे, लड़कियों को जमीन में हिस्सा नहीं दिया जाएगा, लेकिन यह कानूनी रूप से ऐसा नहीं होना चाहिए लड़का या लड़की दोनों को हिस्सा मिलना चाहिए। दोनों को समान अधिकार हैं, अगर लड़की भी चाहे तो वह अपने माता-पिता की भूमि संपत्ति में आधा हिस्सा बन सकती है और समाज को भी इसकी आवश्यकता है। महिलाओं के नाम पर भी भूमि अधिग्रहण किया जाए, उन्हें भी भूमि का एक हिस्सा दिया जाए, यह भूमि स्वामित्व की बात है कि महिलाओं को हर जगह समाज द्वारा रोका जाता है। लड़कियों को बहुत कम लोगों द्वारा पढ़ाया जाता है जबकि लड़कों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाया जाता है।

भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में यह कम आधार पर है। ।स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में महिला कार्यबल की संरचना विकसित हो रही है, जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त युवा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो श्रम बाजार में शामिल हो रही हैं। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आयु वाली आबादी होने का अनुमान है, जो 2030 तक लगभग 70% तक पहुंच जाएगी, लेकिन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का वर्तमान निम्न स्तर लगातार असहनीय होता जा रहा है।तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- महिलाएं किन प्रकार के कार्यों में अधिकतर अपना ज्यादा समय लगाती है ? *----- महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने में क्या क्या चुनौतियां आती हैं? *----- आपके अनुसार महिलाओं को कार्यस्थल पर किन प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है? और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत हैं? *----- क्या आपको भी लगता है कि समाज को इस दिशा में सोच बदलने की ज़रूरत है .?

उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि आज भी यह देखा जा रहा है कि महिलाएं भूमि अधिकारों से वंचित है। समाज अभी भी महिलाओं के नाम पर भूमि लिखने या भूमि पर अधिकार देने का नाम नहीं ले रहा है। महिलाओं का अधिकार हर जगह पुरुषो के बराबर होना चाहिए लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्य है कि महिलाओं को हर जगह पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए, फिर भी समाज महिलाओं को अधिकार नहीं दे रहा है।

तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं समाज ने महिलाओं को भूमि से दूर रखा है, वह समाज में पुरुषों और महिलाओं को भूमि का अधिकार नहीं देता है जो असमान है। पुरुष को माता-पिता के हिस्से में भूमि विरासत में मिलती है, लेकिन महिला को पिता के हिस्से या किसी भी प्रकार की भूमि पर कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। महिलाओं को अधिकार से वंचित कर दिया गया है।आज की तारीख में भी एक ऐसा समाज है जो महिलाओं को भूमि के अधिकार से वंचित कर रहा है। यदि भूमि की संपत्ति लिखनी है, तो वह व्यक्ति अपना नाम लिख लेता है। महिलाओं के नाम पर कोई नहीं लिखते। सरकार ने कानून के माध्यम से भूमि के अधिकार में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं। भले ही महिलाओं के नाम पर जमीन लिखने के लिए कुछ पैसे माफ किए जाएं, लेकिन फिर भी समाज महिलाओं के नाम पर भूमि नहीं लिखती है, न ही यह कहीं भी भूमि में हिस्सा देती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। समान रूप से हकदार पुरुषों और महिलाओं को भूमि का अधिकार होना चाहिए। महिलाओं के नाम पर भी भूमि लिखी जानी चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि समाज में भी पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव और असमानता है, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए, महिलाएं खेती करती हैं, पुरुष कमाने के लिए बाहर जा रहे हैं, इसलिए देखा जा रहा है कि ज्यादातर महिलाएं खेती करती हैं। वे खेती का काम कर रहे हैं लेकिन समाज उन्हें जमीन के अधिकार से वंचित कर रहा है। लेकिन अगर देखा जाए, तो महिलाएं सबसे अधिक काम करती हैं, हर जगह महिलाओं को समान अधिकार मिलने चाहिए। जो लोग जागरूक नहीं हैं, उन्हें जागरूक किया जाना चाहिए और लोगों को यह समझाया जाना चाहिए कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक काम कर रही हैं।

महिलाओं का हमेशा भूमि का अधिकार वंचित समाज रख रहा है। समाज में हर जगह नौकरी में आने-जाने का अधिकार दें ताकि जो गरीब हैं वे जागरूक हों और जो अनजान हैं वे भी दिखाई दें। महिलाओं का सम्मान करें, महिलाओं को अधिकार दें, जागरूकता की कमी हो, जागरूकता पैदा करें, समाज और उन लोगों को जागरूक करें

उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से सुरेन्द्रनाथ यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिला आंदोलन पर आंदोलन होना चाहिए परिवार को एकजुट करने, परिवार चलाने के लिए सामाजिक परिवर्तन हमेशा होता है और परिवार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि सभी को भूमि पर समान अधिकार मिलना चाहिए। अगर इस देश में महिलाओं को भूमि पर अधिकार मिलना शुरू हो जाता है, तो एक दिन ऐसा आएगा जब पुरुष प्रधान देश में सभी एक धागे में बंध जायेंगे । यह भी माना जा रहा है कि इससे समाज और देश को भी लाभ होगा क्योंकि ऐसे कई परिवार हैं जहां भूमि अधिकार नहीं मिलने के कारण बेटियों को घर में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए सभी को समान समर्थन मिले, अगर ऐसा होता है तो महिलाओं और पुरुषों में कोई मजबूरी नहीं होनी चाहिए।