इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?

इस कार्यक्रम में हम जानेंगे कि कैसे गाँव के लोग मिलकर अपने समुदाय को मजबूत बना रहे हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों की ताकत को समझेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और गाँव के विकास में योगदान दे सकते हैं। क्या आपके समुदाय में ऐसे समूह हैं जो जल संरक्षण, आपदा प्रबन्धन या संसाधन प्रबन्धन पर काम करते हैं? अगर हाँ, तो हमें बताएं कि वे कैसे काम करते हैं? और अगर नहीं, तो इस कार्यक्रम को सुनने के बाद क्या आप अपने समुदाय में ऐसे सामूहिक प्रयास शुरू करने के लिए तैयार हैं?

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से रमेश ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बाढ़ के कारण घाघरा नदी के किनारे रहने वाले गांवों के लोग प्रभावित हुए हैं। लोग बाढ़ से काफी परेशान है,स्कूली बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। पानी भर गया है, जिससे संसाधनों की आवाजाही बंद हो गई है और बच्चों को भी आने में परेशानी हो रही है। सरकार द्वारा कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से रमेश ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बारिश का मौसम है मगर मऊ जिला सूखे की चपेट में आ गया है। जब से धन की रोपाई हुई है तब से अच्छी बारिश नही हुई है। किसान लगातार पानी दे कर फसल को ज़िंदा रखे हुए हैं।उमस ज्यादा है और धुप भी बहुत तेज है। जबकि घाघरा नदी वहाँ है। वहीं घाघरा नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। नदी के आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं। ग्रामीण दूसरे जगह पलायन कर रहे हैं बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। कई स्थानों पर सड़कें भी टूट गई हैं। पानी आने के कारण उन गांवों में वाहन नहीं जा पा रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि घाघरा नदी का पानी उफान पर है और नदी के आस पास का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हो गया है। ग्रामीणों का खेत पानी में डूब गया है। मार्केट आने जाने का कोई साधन नही है। इससे लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। ऐसी विकट परिस्थिति में सरकार ना सहयोग कर रही है और ना ही किसी प्रकार की कोई व्यवस्था कर रही है।

यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?

काटन पीढ़ी सुविधाओं से आज भी वंचित हैं।

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