उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से सुरेन्द्रनाथ यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि कुछ समय पहले काफी भीषण गर्मी पड़ रही थी और इसका कारण बढ़ती वायु प्रदुषण है। अंधाधुंध पेड़ो की कटाई भी इसका मुख्य कारण है। पर्यावरण प्रदुषण के मुख्य कारण हमारे भौतिक संसाधन है। आगर हमारे आस पास भूमि है तो, हमें पेड़ जरूर लगाने चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि आये दी मौसम में काफी ज्यादा परिवर्तन देखने को मिल रहा है, ये सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है और इसके जिम्मेदार मानव ही है
उत्तर प्रदेश राज्य के मौ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की पैदा की अँधा धुंध कटाई की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। प्रदुषण भी लगातार बढ़ता जा रहा है, और जलस्तर भी लगातार नीचे जाता जा रहा है
उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से सुरेन्द्रनाथ यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि सभी के लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे समाज और हमारे देश के हित में पर्यावरण कितना महत्वपूर्ण है। ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण गर्मी तेजी से बढ़ रही है। वहाँ है और लोगों का जीवन हराम बन गया है, लोग त्रायाम प्रार्थना कर रहे हैं, लोग किसी भी तरह से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वे खुद नहीं जानते कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं और उनका यह भी मानना है कि अगर ऐसी स्थितियां बनी रहीं तो हम कब तक इस तरह का जीवन सह पाएंगे, लेकिन कोई भी इसके बारे में नहीं सोच रहा है। कि इसे कैसे बचाया जा सकता है, तो बचाने का सबसे आसान तरीका यह है कि हमें पर्यावरण को किसी भी स्थिति में संरक्षित करना चाहिए, चाहे वह हवा हो या पानी। किसी भी तरह से किसी से छेड़छाड़ न करें, एक पेड़ लगाएं, खासकर अगर आम बरगद के लिए जगह हो। पेड़ सभी प्रकार के छांव वाले पेड़ों का उपयोग करें आम जैसे फलों के पेड़ों का उपयोग करें नीम के पेड़ लगाएं ताकि ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके।
उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बरसात के मौसम में बारिश नहीं होती है। ठंड के मौसम में ठंडक नहीं होती है। गर्मी अपने चरम को पार कर चुकी है। साथियों, जिस तरह से समाज, जो मनुष्य है, बदल रहा है, उसी तरह जलवायु में भी बदलाव हो रहा है। हर व्यक्ति एक भी पेड़ लगाने पर ध्यान नहीं दे रहा है। वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच गया है। पहले इतनी गाड़ियाँ और घोड़े नहीं थे। वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण उतना प्रदूषण नहीं था जितना आज है। किसान दित में खेती के लिए अपने खेतों से पेड़-पौधे काट रहे हैं, जहां लोगों ने घर बनाए हैं, वे सड़क के किनारे पेड़ नहीं लगा रहे हैं। और पेड़ भी नहीं बढ़ रहे हैं, जिससे हवा में जलवायु परिवर्तन में अधिक गर्मी दिखाई दे रही है।